ईरान-इजरायल तनाव: जॉर्डन की सेना ने कैसे किया ड्रोन हमलों का सामना?

ईरान के ड्रोन हमले और जॉर्डन की प्रतिक्रिया
हाल ही में, ईरान ने इजरायल पर ड्रोन हमले किए, लेकिन जॉर्डन और इजरायल की सेनाओं ने मिलकर इन हमलों को विफल कर दिया। जॉर्डन ने इजरायल के साथ मिलकर ईरान के हमलों का मुकाबला किया और कई ड्रोन और मिसाइलों को नष्ट कर दिया। यह सहयोग इस बात का संकेत है कि जॉर्डन, जो इजरायल का एक महत्वपूर्ण सहयोगी है, क्षेत्रीय सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
जॉर्डन का सुरक्षा सहयोग: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
1994 में हुए शांति समझौते के बाद से, इजरायल और जॉर्डन के बीच सुरक्षा और खुफिया संबंध मजबूत हुए हैं। जॉर्डन, जो एक मुस्लिम बहुल देश है, ने हमेशा इजरायल की मदद की है, चाहे वह ईरान के हमलों का सामना करना हो या अन्य क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दे। जॉर्डन का यह सहयोग, विशेष रूप से इजरायल पर हमलों के समय, उसे एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझीदार बनाता है।
जॉर्डन की सेना की तत्परता
जॉर्डन ने 2022 में भी ईरान के मिसाइल हमलों का सामना किया था, जब उसने इजरायल की ओर दागी गई 180 मिसाइलों में से एक दर्जन से अधिक को अपने हवाई क्षेत्र में ही नष्ट कर दिया। इस प्रकार, जॉर्डन की सेनाएं इजरायल की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहती हैं और यह उनकी सुरक्षा नीतियों का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है।
जॉर्डन की सेना का साहसिक कदम
हाल ही में, जॉर्डन ने फिर से अपने हवाई क्षेत्र में दाखिल होने वाले ईरानी ड्रोन और मिसाइलों को नष्ट किया। जॉर्डन की सरकारी समाचार एजेंसी के अनुसार, उनकी सेना ने इन हमलों को हवा में ही नष्ट कर दिया और अपने हवाई क्षेत्र को अस्थायी रूप से बंद कर दिया। जॉर्डन ने स्पष्ट किया कि वह अपने हवाई क्षेत्र को युद्ध का मैदान नहीं बनने देगा और किसी भी उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं करेगा।
किंग अब्दुल्ला की भूमिका
जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय, जो पैगंबर मोहम्मद के वंशज माने जाते हैं, ने हमेशा इजरायल के साथ सहयोग को प्राथमिकता दी है। उनकी सरकार ने कई बार ईरान और इजरायल के बीच बढ़ती हुई हिंसा और खतरों के बावजूद अपने सुरक्षा संबंधों को मजबूत किया है। किंग अब्दुल्ला का नेतृत्व इस क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ है और उन्होंने कई अवसरों पर खुलकर इजरायल के समर्थन की बात की है।