ईरान-इजरायल संघर्ष: एक जटिल इतिहास और वर्तमान स्थिति
ईरान-इजरायल संघर्ष का परिचय
ईरान-इजरायल संघर्ष: मध्य पूर्व में तनाव एक बार फिर वैश्विक चिंता का विषय बन गया है। ईरान और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष ने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है। जो कभी सहयोगी थे, अब वे एक-दूसरे के दुश्मन बन चुके हैं। लगातार हो रहे हमले और जवाबी कार्रवाइयों ने इस टकराव को युद्ध का रूप दे दिया है।
संघर्ष की शुरुआत कैसे हुई?
13 जून को इजरायल ने 'ऑपरेशन राइजिंग लॉयन' के तहत ईरान के न्यूक्लियर और सैन्य ठिकानों पर बड़ा हमला किया। इसके जवाब में, ईरान ने 'ट्रू प्रोमिस 3' ऑपरेशन के तहत इजरायली शहरों पर मिसाइलें दागी। इस झड़प में कई ईरानी शीर्ष सैन्य अधिकारी और न्यूक्लियर वैज्ञानिक मारे गए।
कभी के मजबूत मित्र
1948 में इजरायल के गठन के समय, अधिकांश मुस्लिम देशों ने इसे मान्यता नहीं दी, लेकिन ईरान ने संबंध बनाए रखा। दोनों देशों के बीच तेल, हथियार और खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान होता था। अमेरिका की मित्रता ने भी उन्हें करीब लाया।
1979 की इस्लामिक क्रांति का प्रभाव
शाह के शासन के बाद ईरान में इस्लामिक क्रांति ने सब कुछ बदल दिया। नए नेतृत्व ने इजरायल को 'शैतान' मानना शुरू किया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में गिरावट आई, जो अब खुली दुश्मनी में बदल चुकी है।
परमाणु बम का विवाद
इजरायल का आरोप है कि ईरान परमाणु हथियार विकसित कर रहा है, जो उसके अस्तित्व के लिए खतरा है। इसी कारण इजरायल ने 2010 और फिर 2024 में ईरानी ठिकानों को निशाना बनाया। इसके जवाब में, ईरान ने भी कई बार मिसाइल हमले किए।
गाजा और हिज्बुल्लाह के माध्यम से छद्म युद्ध
इजरायल का आरोप है कि ईरान हमास और हिज्बुल्लाह जैसे समूहों को हथियार और वित्तीय सहायता प्रदान करता है, ताकि इजरायल पर हमले किए जा सकें। वहीं, ईरान खुद को 'फिलिस्तीन का रक्षक' बताता है और इजरायल के हर कदम का जवाब देने की धमकी देता है।
UPSC के लिए इस विषय का महत्व
इस संघर्ष में इतिहास, भू-राजनीति, धर्म, ऊर्जा सुरक्षा और वैश्विक कूटनीति का अद्भुत मिश्रण है। इसलिए, यूपीएससी जैसी परीक्षाओं में ईरान-इजरायल के रिश्तों और संघर्ष पर प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं।
