ईरान-इज़राइल जासूसी युद्ध: मोसाद की नई चुनौतियाँ और ईरान की प्रतिक्रिया

जासूसी का नया दौर
हालांकि ईरान और इज़राइल के बीच सैन्य टकराव थम गया है, लेकिन जासूसी गतिविधियाँ अब भी जारी हैं। इज़राइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने स्पष्ट किया है कि उसका अभियान ईरान में आगे बढ़ता रहेगा, और अगली कार्रवाई पहले से कहीं अधिक प्रभावशाली और घातक होगी। मोसाद के प्रमुख डेविड बर्निया ने ईरान को सीधी चुनौती देते हुए कहा कि इस बार उनकी तैयारी इतनी मजबूत थी कि ईरान हर मोर्चे पर पीछे रह गया।
ईरान की सरकार पर दबाव
मोसाद की कार्रवाइयों ने ईरान की सरकार को हिला कर रख दिया है। रिपोर्टों के अनुसार, अचानक हुए हमलों ने ईरान के शीर्ष नेतृत्व को भी झटका दिया। वैज्ञानिकों की हत्याएं, मिसाइल ठिकानों पर हमले और एयर डिफेंस सिस्टम को नष्ट करने वाले ड्रोन हमलों ने ईरान को बुरी तरह प्रभावित किया। खुफिया नेटवर्क के जरिए यह भी पता चला कि ये हमले ईरान के अंदर से संचालित हुए, जो यह दर्शाता है कि मोसाद का नेटवर्क गहराई तक फैला हुआ है।
ईरान की प्रतिक्रिया
इन हमलों के बाद, ईरान ने दो मोर्चों पर कार्रवाई शुरू की है—एक तो प्रतिशोध के लिए और दूसरा मोसाद के एजेंटों की पहचान के लिए। ईरान की खुफिया एजेंसी VAAJA ने कई छापेमारी की हैं, जिसमें 700 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है और तीन को फांसी की सजा दी गई है। फिर भी, मोसाद प्रमुख की टिप्पणी कि "ईरान अब भी हमारे एजेंटों के लिए सुरक्षित क्षेत्र है," तेहरान की सरकार और उसकी खुफिया एजेंसी के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है।
ड्रोन निर्माण और गुप्त मिशन
VAAJA की रिपोर्टों के अनुसार, ईरान ने तस्करी के माध्यम से ड्रोन उपकरण मंगवाकर गुप्त फैक्ट्रियों में हथियार तैयार किए हैं। ईरान अब अपने सभी औद्योगिक क्षेत्रों और फैक्ट्रियों पर नजर रख रहा है। इसके अलावा, आम जनता को सचेत रहने की सलाह दी जा रही है ताकि वे अनजाने में दुश्मन के नेटवर्क का हिस्सा न बन जाएं।
ईरान की नई रणनीति
ईरान ने मोसाद की चुनौती का सामना करने के लिए इज़राइल में अपने खुफिया नेटवर्क VAJA को मजबूत करना शुरू कर दिया है। रिपोर्टों में कहा गया है कि VAAJA ने अपने स्लीपर सेल्स को सक्रिय कर दिया है और इज़राइल के सरकारी विभागों तक पहुंच बनाने की कोशिश कर रहा है।
निष्कर्ष: जासूसी युद्ध की नई दिशा
हालांकि मिसाइलों की आवाज अब थम गई है, लेकिन जासूसी की यह लड़ाई और भी खतरनाक हो गई है। दोनों देश एक-दूसरे के दिल में घुसने की कोशिश कर रहे हैं, और यह स्पष्ट है कि इस युद्ध का अगला अध्याय छाया में लड़ा जाएगा—जहां न तो बारूद की गूंज होगी, न टैंक चलेंगे, बल्कि खुफिया जानकारी ही सबसे बड़ा हथियार बनेगी।