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ईरान-इसराइल संघर्ष में अमेरिका की सीधी भागीदारी

ईरान और इसराइल के बीच चल रहे टकराव में अमेरिका ने सीधा हस्तक्षेप किया है, जिससे तनाव बढ़ गया है। अमेरिकी सेना ने ईरान के तीन न्यूक्लियर स्थलों पर हमला किया, जिसके बाद रेडिएशन फैलने की चिंता उत्पन्न हुई। हालांकि, ईरान के अधिकारियों ने इस बात का खंडन किया है कि किसी प्रकार का विकिरण फैला है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इस हमले को सैन्य इतिहास की महत्वपूर्ण कार्रवाई बताया है। IAEA ने भी रेडिएशन के फैलने की आशंका को खारिज किया है। इस स्थिति पर विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें।
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ईरान-इसराइल संघर्ष में अमेरिका की सीधी भागीदारी

ईरान-इसराइल संघर्ष:

ईरान और इसराइल के बीच चल रहे विवाद में अमेरिका ने अब खुलकर हस्तक्षेप किया है। शनिवार को अमेरिकी सेना ने ईरान के तीन महत्वपूर्ण न्यूक्लियर स्थलों, फोर्दो, नतांज और इस्फहान पर सीधे हमले किए। इस कार्रवाई ने न केवल तनाव को बढ़ा दिया है, बल्कि वैश्विक स्तर पर रेडिएशन फैलने की चिंता भी उत्पन्न कर दी है।


क्या फैला रेडिएशन?

हालांकि, ईरान के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि इन स्थलों पर हमले के बाद कोई विकिरण नहीं फैला है और वहां के निवासियों को कोई खतरा नहीं है। ईरान की नेशनल न्यूक्लियर सेफ्टी सिस्टम सेंटर ने एक बयान में कहा, 'हमारे सेंसर ने किसी भी प्रकार के रेडियोएक्टिव लीक का संकेत नहीं दिया है। इन स्थलों से पहले ही संवेदनशील सामग्री हटा दी गई थी।' हसन अबेदिनी, जो ईरान के सरकारी मीडिया के राजनीतिक प्रमुख हैं, ने कहा, 'हमने पहले ही संवर्धित यूरेनियम और अन्य खतरनाक सामग्रियों को वहां से हटा दिया था। नागरिकों को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।'


ट्रंप का बड़ा ऐलान

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हमले की घोषणा करते हुए कहा, 'यह हमारे सैन्य इतिहास की एक महत्वपूर्ण कार्रवाई थी। यदि ईरान अब भी शांति के लिए तैयार नहीं होता है, तो अगली बार हम और भी अधिक खतरनाक और सटीक हमला करेंगे।' यह बयान उन्होंने केवल तीन मिनट की स्पीच में दिया, लेकिन उनका संदेश स्पष्ट था कि अमेरिका अब पीछे नहीं हटेगा।


IAEA ने किया साफ

इससे पहले, जब इसराइल ने कुछ ईरानी स्थलों पर एयरस्ट्राइक की थी, तब भी रेडिएशन फैलने की आशंका जताई गई थी। लेकिन IAEA (International Atomic Energy Agency) ने पुष्टि की कि अब तक किसी भी हमले से परमाणु रेडिएशन नहीं फैला है। IAEA ने दोहराया कि न्यूक्लियर सुविधाओं पर हमला अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ है, क्योंकि इससे जनजीवन को खतरा हो सकता है।