Newzfatafatlogo

ईरान-इस्राइल संघर्ष में अमेरिका की संभावित भूमिका और डूम्सडे प्लेन

ईरान और इस्राइल के बीच चल रहे संघर्ष में अमेरिका की संभावित भागीदारी पर चर्चा हो रही है। इस संदर्भ में, अमेरिका का 'डूम्सडे प्लेन' वॉशिंगटन पहुंच चुका है, जो परमाणु संघर्ष की स्थिति में एक नियंत्रण केंद्र के रूप में कार्य करता है। यह विमान 1973 में निर्मित किया गया था और अत्याधुनिक तकनीक से लैस है। जानें इस विमान की विशेषताएँ और अमेरिका की सैन्य रणनीति के बारे में।
 | 
ईरान-इस्राइल संघर्ष में अमेरिका की संभावित भूमिका और डूम्सडे प्लेन

अमेरिका की संभावित एंट्री

ईरान और इस्राइल के बीच चल रहे संघर्ष में अमेरिका की भागीदारी कभी भी संभव है। इस स्थिति में अमेरिकी सैन्य ताकत का इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, राष्ट्रपति ट्रंप अभी इस मामले में स्थिति का आकलन कर रहे हैं। इसी कारण, एक विशेष विमान को तैयार किया गया है, जिसका उपयोग आखिरी बार 9/11 के हमले के बाद किया गया था। अमेरिका का 'डूम्सडे प्लेन' वॉशिंगटन पहुंच चुका है। न्यू यॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, E-4B नाइटवॉच विमान लुइसियाना से उड़ान भरकर मेरीलैंड के जॉइंट बेस एंड्रूज पहुंचा है। यह विमान तब सक्रिय होता है जब दुनिया में परमाणु हमले का खतरा होता है।


डूम्सडे प्लेन की विशेषताएँ

संघर्ष की स्थिति में कार्यशीलता


डूम्सडे प्लेन के वाशिंगटन पहुंचने से वैश्विक तनाव और बढ़ने की संभावना है। यह विमान परमाणु संघर्ष की स्थिति में उड़ान नियंत्रण केंद्र के रूप में कार्य करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसे बोइंग 747 के आधार पर विकसित किया गया है और इसे ई-4बी नाइटवॉच के नाम से भी जाना जाता है। यह अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और यदि आवश्यक हो, तो अमेरिका के 4,315 परमाणु बम एक साथ सक्रिय हो सकते हैं। इसका मतलब है कि अमेरिका जब चाहे, दुनिया के किसी भी हिस्से में विनाश कर सकता है।


इतिहास और विकास

1973 में निर्मित


डूम्सडे प्लेन का निर्माण 1973 में किया गया था, जब अमेरिका और सोवियत संघ के बीच संबंध तनावपूर्ण थे। शीत युद्ध के दौरान, अमेरिका ने इस विमान को तैयार किया ताकि किसी भी संभावित तीसरे विश्व युद्ध की स्थिति में तैयार रह सके। यह विमान 12 घंटे तक बिना ईंधन के उड़ान भर सकता है, लेकिन इसकी उड़ान की लागत प्रति घंटे लगभग 160,000 डॉलर है।