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ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के बीच सीरिया में अमेरिकी ठिकाने पर हमला

ईरान ने अमेरिका के हमले के बाद सीरिया में एक अमेरिकी सैन्य ठिकाने पर हमला किया है। यह हमला अमेरिका के बी-2 बमवर्षक विमानों द्वारा किए गए हमले के 36 घंटे बाद हुआ। ईरान ने चेतावनी दी थी कि यदि अमेरिका युद्ध में शामिल होता है, तो वह मध्य पूर्व में उसके सैन्य ठिकानों को निशाना बनाएगा। जानें इस संघर्ष के पीछे की कहानी और ईरान की प्रतिक्रिया।
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ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के बीच सीरिया में अमेरिकी ठिकाने पर हमला

ईरान-इजराइल संघर्ष में नया मोड़

ईरान-इजराइल संघर्ष: अमेरिका द्वारा ईरान पर हमले के बाद, सीरिया में एक अमेरिकी सैन्य ठिकाने पर हमला हुआ है। ईरानी मीडिया ने सोमवार को इस घटना की पुष्टि की, जिसमें बताया गया कि यह हमला अमेरिका के बी-2 बमवर्षक विमानों द्वारा किए गए हमले के 36 घंटे बाद हुआ।


ईरान की चेतावनी

ईरान ने दी थी चेतावनी

यह हमला ईरान द्वारा इजराइल से अलग होकर किया गया पहला हमला माना जा रहा है। हालांकि ईरान ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन उसने पहले चेतावनी दी थी कि यदि अमेरिका युद्ध में शामिल होता है, तो वह मध्य पूर्व में उसके सैन्य ठिकानों को निशाना बनाएगा।


हसाका प्रांत में हमला

हसाका प्रांत में अमेरिकी सैन्य अड्डे को बनाया निशाना

मेहर न्यूज के अनुसार, सीरिया के पश्चिमी हसाका प्रांत में एक अमेरिकी सैन्य अड्डे को निशाना बनाया गया। सूत्रों ने बताया कि हमले के बाद मुख्य प्रवेश द्वार पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। ईरान ने मोर्टार से यह हमला किया है।


संयुक्त राष्ट्र में ईरान का संकेत

ईरान के राजदूत ने संयुक्त राष्ट्र में दिया हमले का संकेत

संयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत आमिर सईद इरावानी ने तीन ठिकानों पर जवाबी हमले का संकेत दिया है। उन्होंने कहा कि हम अमेरिका को उतना ही नुकसान पहुंचाएंगे, जितना उसने हमें पहुंचाया है। ईरान का आरोप है कि इजराइल के कारण अमेरिका ने अपने लोगों की जान को खतरे में डाल दिया है।


बी-2 बॉम्बर से हमला

बी-2 बॉम्बर से किया हमला

अमेरिका ने ईरान के नतांज, इस्फहान और फोर्डो परमाणु स्थलों पर बी-2 बॉम्बर से हमला किया। अमेरिकी राष्ट्रपति का कहना है कि यह हमला ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए किया गया है।


सीरिया में ईरान की स्थिति

सीरिया के ठिकाने और ईरान

ईरान का सबसे निकटतम अमेरिकी ठिकाना इराक में है, लेकिन सीरिया भी दूर नहीं है। हसाका प्रांत ईरान से लगभग 1100 किलोमीटर दूर है। इस हमले में हुए नुकसान की जानकारी अभी तक नहीं मिली है, लेकिन बशर अल-असद के शासन के दौरान ईरान की सीरिया में मजबूत उपस्थिति थी।