Newzfatafatlogo

ईरान का IAEA के साथ सहयोग समाप्त करने का निर्णय: क्या बढ़ेगा तनाव?

ईरान ने हाल ही में IAEA के साथ सहयोग समाप्त करने का निर्णय लिया है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं। यह कदम अमेरिका द्वारा ईरानी परमाणु स्थलों पर बमबारी के बाद उठाया गया है। नए कानून के तहत, IAEA को ईरान की परमाणु साइटों का निरीक्षण करने के लिए पहले अनुमति लेनी होगी। इस निर्णय के परिणामस्वरूप, अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए ईरान के परमाणु कार्यक्रम की दिशा को समझना मुश्किल हो जाएगा। जानें इस मुद्दे पर और क्या हो रहा है।
 | 
ईरान का IAEA के साथ सहयोग समाप्त करने का निर्णय: क्या बढ़ेगा तनाव?

ईरान और इजरायल के बीच तनाव जारी

हाल ही में ईरान और इजरायल के बीच संघर्षविराम के बावजूद तनाव कम नहीं हुआ है। इस बीच, बुधवार को ईरान की संसद ने एक महत्वपूर्ण विधेयक को मंजूरी दी, जिसके अनुसार ईरान अब संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था IAEA (इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी) के साथ सहयोग समाप्त कर देगा। यह निर्णय अमेरिका द्वारा ईरानी परमाणु स्थलों पर बमबारी के बाद लिया गया है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर चिंताएँ और बढ़ गई हैं।


परमाणु साइटों के निरीक्षण के लिए अनुमति आवश्यक

ईरानी संसद के अध्यक्ष मोहम्मद बाकर कलीबाफ ने कहा कि ईरान अपने शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ाने की योजना बना रहा है। नए कानून के अनुसार, IAEA को ईरान की परमाणु साइटों का निरीक्षण करने के लिए पहले सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल से अनुमति लेनी होगी। यह कदम ईरान की गैर-निर्वाचित संरक्षक परिषद की मंजूरी के बाद लागू होगा।


IAEA के कार्यों पर रोक

इस कानून के तहत IAEA के निगरानी कैमरे, निरीक्षण दौरे और रिपोर्टिंग जैसे सभी कार्यों पर रोक लग जाएगी। इससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए यह जानना मुश्किल हो जाएगा कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को किस दिशा में ले जा रहा है। पहले से ही संकेत हैं कि ईरान ने 70 से 80 प्रतिशत यूरेनियम का एनरिचमेंट कर लिया है, जो 90 प्रतिशत हथियार-ग्रेड स्तर के बहुत करीब है।


IAEA प्रमुख की उम्मीदें

IAEA के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने उम्मीद जताई है कि ईरान निरीक्षकों को वापस परमाणु स्थलों पर आने देगा, खासकर उन साइटों पर जहां 13 जून को इजरायल के हमलों से पहले यूरेनियम संवर्धन जारी था। अमेरिका ने हाल ही में फोर्डो, इस्फहान और नतांज जैसी प्रमुख परमाणु साइटों पर बमबारी की थी। हालांकि, ईरान का कहना है कि इन हमलों से गंभीर नुकसान नहीं हुआ, क्योंकि अधिकांश न्यूक्लियर सामग्री पहले ही गुप्त ठिकानों पर स्थानांतरित कर दिया गया था.