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ईरान के नेता खामेनेई पर खतरे की छाया: अमेरिका और इजरायल की नजरें

अमेरिका और इजरायल की नजरें ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई पर हैं, जिन्हें जान से मारने की धमकी दी गई है। खामेनेई का इतिहास और उनके राजनीतिक सफर पर एक नजर डालते हैं। 1981 में उन पर हुए हमले से लेकर आज तक, उनकी सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। जानें उनके जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में और कैसे वे ईरान की सत्ता पर काबिज हैं।
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ईरान के नेता खामेनेई पर खतरे की छाया: अमेरिका और इजरायल की नजरें

खामेनेई पर बढ़ता खतरा

अमेरिका और इजरायल की निगाहें अब ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई पर केंद्रित हो गई हैं। अमेरिका ने उन्हें अपने संभावित लक्ष्यों में शामिल कर लिया है, जबकि इजरायल ने उन्हें जान से मारने की चेतावनी दी है। इजरायल का मानना है कि खामेनेई की हत्या से ईरान के साथ चल रहे तनाव को समाप्त किया जा सकता है। इन खतरों के चलते खामेनेई अब तेहरान के एक गुप्त बंकर में छिपे हुए हैं.


खामेनेई का इतिहास और खतरे

हालांकि, खामेनेई के लिए खतरा नया नहीं है। 1981 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन पर एक विस्फोटक टेप रिकॉर्डर से हमला हुआ था, जिसमें उनका दाहिना हाथ गंभीर रूप से घायल हो गया और एक कान की सुनने की क्षमता भी कम हो गई। इसके बावजूद, उन्होंने ईरान की सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखी। खामेनेई और उनके गुरु अयातुल्ला खुमैनी ने ईरान को धार्मिक शासन प्रणाली में ढालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.


खामेनेई का राजनीतिक सफर

अली खामेनेई का जन्म 1939 में हुआ था। उनके पिता जावेद खामेनेई एक धार्मिक शिक्षक थे और उनका परिवार अजरबैजानी क्षेत्र के खामानेह से संबंधित था। इसी नाम पर उन्होंने 'खामेनेई' उपनाम अपनाया। उनके दो भाई भी मौलवी हैं, जिनमें से एक हादी खामेनेई पत्रकारिता से जुड़े हैं. 1979 की इस्लामिक क्रांति में खामेनेई ने सक्रिय भाग लिया और 1981 में ईरान के राष्ट्रपति बने। खुमैनी की मृत्यु के बाद, 1989 में उन्हें देश का सर्वोच्च नेता घोषित किया गया। उस समय संविधान में बदलाव कर उन्हें राष्ट्रपति की कई शक्तियां भी दी गईं। अब वे धार्मिक और सैन्य मामलों में अंतिम निर्णय लेने वाले व्यक्ति हैं। दिलचस्प बात यह है कि खामेनेई ने पिछले चार दशकों से ईरान से बाहर यात्रा नहीं की है, जिससे उनकी सुरक्षा को लेकर चिंताएं और बढ़ गई हैं.