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ईरान के परमाणु ठिकाने पर हमले के बाद ट्रंप का दावा हुआ सही

हाल ही में अमेरिका द्वारा ईरान के फोर्डो परमाणु ठिकाने पर किए गए हमले के बाद, ट्रंप का दावा सही साबित हुआ है। ईरान के विदेश प्रवक्ता ने भी इस हमले के बाद अपने परमाणु प्रतिष्ठानों को गंभीर नुकसान पहुंचने की बात स्वीकार की है। जानें इस संघर्ष के पीछे की कहानी और ईरान के परमाणु कार्यक्रम के इतिहास के बारे में।
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ईरान के परमाणु ठिकाने पर हमले के बाद ट्रंप का दावा हुआ सही

इजरायल-ईरान संघर्ष: हालिया घटनाक्रम

इजरायल-ईरान संघर्ष: पिछले सप्ताह अमेरिका ने 'ऑपरेशन मिडनाइट हैमर' के तहत ईरान के गुप्त परमाणु स्थल फोर्डो पर मिसाइलें दागी थीं। अमेरिका ने इस हमले में भारी नुकसान का दावा किया था। इसके बाद सोमवार को इजरायल ने भी ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया। हालांकि, सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया कि फोर्डो केंद्र को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि ईरान का सबसे बड़ा परमाणु संयंत्र अमेरिकी हमलों के बाद पूरी तरह से नष्ट हो गया है। ईरान ने भी इस बात को स्वीकार किया है।


ईरान के विदेश प्रवक्ता का बयान

क्या बोले ईरान के विदेश प्रवक्ता?


ईरान के विदेश प्रवक्ता इस्माइल बाघेई ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हमारे परमाणु प्रतिष्ठानों को गंभीर नुकसान पहुंचा है। हालांकि, उन्होंने इस पर विस्तार से जानकारी देने से परहेज किया। बाघेई का बयान ट्रंप के दावे को सही साबित करता है।


ट्रंप का दोबारा बयान देने का कारण

क्यों ट्रंप को दोबारा देना पड़ा था बयान?


ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति ने ईरान के फोर्डो में स्थित भूमिगत परमाणु संस्थान को भारी नुकसान पहुंचाने का दावा किया। सीएनएन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि फोर्डो में ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। इसके अलावा, कुछ सेटेलाइट तस्वीरें भी जारी की गईं, जिनमें फोर्डो का बड़ा हिस्सा सुरक्षित दिख रहा था। तब से फोर्डो पर नुकसान की सही जानकारी सामने नहीं आ रही थी। राष्ट्रपति ने बुधवार को फिर से फोर्डो को बड़ा नुकसान होने का दावा किया।


फोर्डो का स्थान

कहां स्थित है फोर्डो?


ईरान का फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट जमीन के अंदर स्थित है। यह हरे-भरे पहाड़ों के भीतर लगभग 300 फीट गहराई में है। यह ईरान का सबसे गुप्त और सुरक्षित परमाणु ठिकाना माना जाता है।


ईरान का परमाणु कार्यक्रम

कब शुरू हुआ था ईरान का परमाणु कार्यक्रम


ईरान में परमाणु कार्यक्रम 1950 में अमेरिका के सहयोग से शुरू हुआ था। 1970 के दशक में बिजली रिएक्टरों की योजनाओं के साथ इसका विस्तार हुआ। 1979 की ईरानी क्रांति के बाद इसे रोक दिया गया, लेकिन 1980 के दशक के ईरान-इराक युद्ध के दौरान इसे गुप्त रूप से फिर से शुरू किया गया। वर्तमान में, ईरान के पास 8 से 10 परमाणु बम बनाने के लिए आवश्यक यूरेनियम का भंडार है।