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ईरान के परमाणु ठिकानों पर इज़रायल का हमला: यूरेनियम संवर्धन का रहस्य

पिछले हफ्ते इज़रायल ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हमला किया, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। जानें कि यूरेनियम संवर्धन क्या है और क्यों यह वैश्विक सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है। ईरान का 60% तक यूरेनियम संवर्धन करना इज़रायल और पश्चिमी देशों के लिए चिंता का कारण बन गया है। इस लेख में हम इस जटिल प्रक्रिया और इसके संभावित खतरों पर चर्चा करेंगे।
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ईरान के परमाणु ठिकानों पर इज़रायल का हमला: यूरेनियम संवर्धन का रहस्य

इज़रायल का हमला और बढ़ता तनाव

पिछले हफ्ते, इज़रायल ने ईरान के तीन महत्वपूर्ण परमाणु स्थलों, नतांज, फोर्दो और इस्फहान पर हमले किए। इस घटना के बाद, दोनों देशों के बीच तनाव में काफी वृद्धि हुई है, जिससे युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। नतांज और फोर्दो वे स्थान हैं जहां ईरान यूरेनियम का संवर्धन करता है, जबकि इस्फहान से इस प्रक्रिया के लिए कच्चा माल भेजा जाता है।


इज़रायल के आरोप और सुरक्षा चिंताएँ

इज़रायल का कहना है कि ईरान इन स्थलों पर परमाणु हथियार बनाने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। इसी कारण से इज़रायल ने यह कार्रवाई की। ये ठिकाने भूमिगत हैं और अत्यधिक सुरक्षा में संचालित होते हैं। हमलों के परिणामस्वरूप हुए नुकसान की जानकारी पर अभी भी विरोधाभासी रिपोर्टें आ रही हैं।


यूरेनियम संवर्धन: एक जटिल प्रक्रिया

यूरेनियम संवर्धन का अर्थ क्या है? यूरेनियम संवर्धन का मतलब है कि यूरेनियम में U-235 तत्व की मात्रा को बढ़ाना। प्राकृतिक यूरेनियम में U-235 की मात्रा केवल 0.72% होती है, जबकि बम बनाने के लिए इसे 90% तक बढ़ाना आवश्यक है। यह प्रक्रिया एक जटिल तकनीक के माध्यम से की जाती है, जिसमें यूरेनियम को गैस में परिवर्तित कर सेंट्रीफ्यूज मशीनों में घुमाया जाता है। इस प्रक्रिया में भारी यूरेनियम किनारे चला जाता है और हल्का, उपयोगी U-235 केंद्र में बचता है।


यूरेनियम का दोहरा उपयोग

यूरेनियम एक दोहरा उपयोग वाला तत्व है. इसका उपयोग बिजली उत्पादन के लिए भी किया जा सकता है और बम बनाने के लिए भी। कम संवर्धित यूरेनियम का उपयोग परमाणु बिजली संयंत्रों में होता है, लेकिन जब यह 90% तक संवर्धित हो जाता है, तो यह हथियार-योग्य बन जाता है। वर्तमान में, ईरान 60% संवर्धन तक पहुंच चुका है, जिससे इज़रायल और पश्चिमी देशों की चिंताएँ बढ़ गई हैं। अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी (IAEA) इस पर लगातार निगरानी रख रही है, क्योंकि एक बार उच्च संवर्धन हासिल होने पर बम बनाना तकनीकी रूप से आसान हो जाता है।