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ईरान ने अमेरिकी हमलों को बताया अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन

ईरान के एटॉमिक एनर्जी ऑर्गेनाइजेशन ने अमेरिकी हमलों को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने हमलों की पुष्टि की है, जबकि ईरान ने अपने न्यूक्लियर विकास को जारी रखने का आश्वासन दिया है। जानें इस विवाद के सभी पहलुओं के बारे में।
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ईरान ने अमेरिकी हमलों को बताया अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन

ईरान की न्यूक्लियर साइट्स पर हमले का विवाद

नई दिल्ली: ईरान के 'एटॉमिक एनर्जी ऑर्गेनाइजेशन' ने हाल ही में अपनी न्यूक्लियर साइट्स पर हुए हमलों को 'अंतरराष्ट्रीय कानून' का उल्लंघन करार दिया है। हालांकि, इस संगठन ने यह स्पष्ट नहीं किया कि इन हमलों से कितना नुकसान हुआ है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि अमेरिकी सेना ने ईरान के फोर्डो, एस्फाहान और नतांज परमाणु स्थलों पर हमले किए। यह हमला रविवार सुबह 4:30 बजे (भारतीय समय) हुआ।


ईरान ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह अपने 'नेशनल इंडस्ट्री' के कार्यों को नहीं रोकेगा, जो देश के न्यूक्लियर विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। तेहरान की एजेंसी ने कहा कि इन हमलों से अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन हुआ है।


ईरान की परमाणु एजेंसी ने एक बयान में कहा, "ईरान का एटॉमिक एनर्जी ऑर्गेनाइजेशन यह आश्वासन देता है कि अपने दुश्मनों की साजिशों के बावजूद, वह अपने हजारों क्रांतिकारी और वैज्ञानिकों की मेहनत से इस नेशनल इंडस्ट्री के विकास को नहीं रोकेगा। यह न्यूक्लियर कार्यक्रम में शहादत देने वालों का परिणाम है।" ट्रंप ने ईरान पर एयर स्ट्राइक के बाद यह दावा किया था कि अमेरिकी सेना ने ईरान के फोर्डो, एस्फाहान और नतांज परमाणु स्थलों पर हमले किए हैं।


ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ' पर लिखा, "हमने ईरान में तीन न्यूक्लियर साइट्स—फोर्डो, नतांज और एस्फाहान पर सफलतापूर्वक हमला किया है। सभी विमान अब ईरान के एयर स्पेस से बाहर हैं। हमारे महान अमेरिकी योद्धाओं को बधाई। दुनिया में कोई और सेना नहीं है, जो ऐसा कर सकती थी। अब शांति का समय है!" इसके साथ ही ट्रंप ने कहा कि यह अमेरिका, इजरायल और पूरी दुनिया के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है। ईरान को इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए सहमत होना चाहिए।


इससे पहले, शुक्रवार को ट्रंप ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने ईरान को अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम पर बातचीत के लिए अधिकतम दो हफ्ते का समय दिया है। 13 जून को, इजरायल ने ईरान पर हवाई हमले शुरू किए थे, जिसमें कई बुनियादी ढांचे नष्ट हुए और दर्जनों ईरानी सैन्य कमांडरों और परमाणु वैज्ञानिकों की मौत हो गई। इसके जवाब में, ईरान ने इजरायल के कई स्थानों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए।