ईरान ने कई देशों में हथियार निर्माण की फैक्ट्रियों का किया दावा, बढ़ी अमेरिका-इजरायल की चिंता

ईरान-इजरायल के बीच हालिया युद्ध
हाल ही में ईरान और इजरायल के बीच एक गंभीर युद्ध हुआ, जो 12 दिनों तक चला। यह संघर्ष 13 जून से 24 जून 2025 तक चला, जिसमें दोनों देशों ने एक-दूसरे पर भारी बमबारी की। इजरायल ने ईरान के महत्वपूर्ण सैन्य और परमाणु स्थलों पर हमले की शुरुआत की, जिसके जवाब में ईरान ने भी इजरायल को नुकसान पहुँचाया। इस दौरान अमेरिका ने दावा किया कि उसने ईरान के तीन परमाणु केंद्रों पर हमला किया। इसके बाद ईरान ने कतर में अमेरिकी बेस पर मिसाइलों से हमला किया। इस युद्ध ने वैश्विक तनाव को बढ़ा दिया, लेकिन 24 जून को युद्धविराम पर सहमति बनी।
हथियार निर्माण की फैक्ट्रियों का दावा
ईरान के रक्षा मंत्री अजीज नासिरजादेह ने कहा है कि ईरान ने कई देशों में हथियार निर्माण की फैक्ट्रियाँ स्थापित की हैं। हालांकि, उन्होंने देशों के नाम का खुलासा नहीं किया। नासिरजादेह ने बताया कि उनकी प्राथमिकता मिसाइल विकास पर केंद्रित है और इजरायल के साथ युद्ध के बाद उनकी रणनीतियाँ बदल रही हैं।
युद्ध की अवधि पर नासिरजादेह का बयान
नासिरजादेह ने यह भी कहा कि यदि जून में युद्ध 15 दिनों तक चलता, तो इजरायल ईरानी मिसाइलों के हमलों को रोकने में असमर्थ होता। उन्होंने यह तर्क दिया कि इजरायल को अमेरिका के सामने युद्धविराम स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
कासिम बसीर मिसाइल का उल्लेख
रक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि ईरान ने अपने नवीनतम हथियारों में से एक कासिम बसीर मिसाइल का उपयोग नहीं किया है, जो कि ईरान का सबसे सटीक हथियार माना जाता है। इसकी मारक क्षमता 1200 किलोमीटर तक है।
नौसैनिक अभ्यास और प्रतिबंध
हाल ही में, ईरान ने ओमान की खाड़ी और उत्तरी हिंद महासागर में क्रूज मिसाइलों का परीक्षण किया। यह इजरायल के साथ संघर्ष के बाद उनका पहला सैन्य अभ्यास था। अमेरिका ने 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से ईरान पर कई प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे ईरान के लिए आधुनिक हथियारों का आयात करना कठिन हो गया है।