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ईरान ने परमाणु प्रस्ताव वापस लिया: अमेरिका का दबाव और इजराइल की चिंता

ईरान ने हाल ही में परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमलों को रोकने के लिए एक प्रस्ताव वापस ले लिया है, जो अमेरिका के दबाव और इजराइल की चिंताओं के बीच आया है। इस निर्णय के पीछे कई जटिल राजनैतिक कारण हैं, जिसमें अमेरिका का गुप्त प्रयास और इजराइल का सुरक्षा मुद्दा शामिल है। ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है, जबकि इजराइल इसे खतरा मानता है। इस लेख में हम इस मुद्दे की गहराई में जाएंगे और जानेंगे कि यह स्थिति कैसे विकसित हो रही है।
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ईरान ने परमाणु प्रस्ताव वापस लिया: अमेरिका का दबाव और इजराइल की चिंता

ईरान का प्रस्ताव वापस लेने का निर्णय

गुरुवार को, ईरान ने परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमलों को रोकने के लिए एक प्रस्ताव को वापस लेने का निर्णय लिया। यह प्रस्ताव चीन, रूस और अन्य देशों के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था की वार्षिक बैठक में मतदान के लिए रखा गया था। यह कदम तब उठाया गया है जब अमेरिका के सहयोगी देशों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर फिर से प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।


अमेरिका का दबाव

पश्चिमी राजनयिकों के अनुसार, अमेरिका इस प्रस्ताव को पारित होने से रोकने के लिए गुप्त रूप से प्रयास कर रहा था। उन्होंने बताया कि अमेरिका ने पहले यह संकेत दिया था कि यदि प्रस्ताव पारित होता है और इजरायल के अधिकारों को कम करने का कदम उठाया जाता है, तो वह अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी को दी जाने वाली वित्तीय सहायता में कटौती कर सकता है।


ईरान का बयान

ईरान के राजदूत रजा नजफी ने आईएईए के महाधिवेशन में कहा कि उन्होंने सद्भावना और रचनात्मक सहभागिता के तहत प्रस्ताव पर कार्रवाई को अगले वर्ष के सम्मेलन तक स्थगित कर दिया है।


इजराइल की चिंता

इजराइल ने जून में ईरानी परमाणु और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया था, यह कहते हुए कि वह ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने की अनुमति नहीं दे सकता। अमेरिका ने भी ईरानी प्रतिष्ठानों पर हमले किए हैं, जबकि ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है।


ईरान की निंदा

ईरान के मसौदा प्रस्ताव में एक पैराग्राफ शामिल था, जिसमें ईरान के परमाणु स्थलों पर किए गए हमलों की निंदा की गई थी। नजफी ने कहा कि ईरान और अन्य सह-प्रायोजक देशों का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच विभाजन पैदा करना नहीं था।