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ईरान पर अमेरिकी हमले की सच्चाई: ट्रंप के दावे और खुफिया रिपोर्ट में विरोधाभास

अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर बमबारी की, लेकिन ट्रंप के दावों की पुष्टि नहीं हुई। यूएस खुफिया एजेंसी ने बताया कि ईरान को कम नुकसान हुआ है। व्हाइट हाउस ने रिपोर्ट को झूठा करार दिया है। जानें इस विवाद की पूरी कहानी और ईरान की प्रतिक्रिया।
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ईरान पर अमेरिकी हमले की सच्चाई: ट्रंप के दावे और खुफिया रिपोर्ट में विरोधाभास

यूएस सेंट्रल कमांड की रिपोर्ट

यूएस सेंट्रल कमांड रिपोर्ट: रविवार, 22 जून 2025 को अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों, फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर बमबारी की। इसके बाद, पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने दावा किया कि इन ठिकानों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है।


ट्रंप के दावों की पोल

हालांकि, अब यूएस रक्षा खुफिया एजेंसी ने ट्रंप के दावों को खारिज करते हुए बताया है कि हमले से ईरान को अपेक्षाकृत कम नुकसान हुआ है। यूएस सेंट्रल कमांड ने इस हमले के परिणामों का आकलन किया है, जो ट्रंप के बयान से मेल नहीं खाता। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, हमलों ने ईरान के परमाणु ठिकानों को गंभीर नुकसान नहीं पहुँचाया।


ईरान की तैयारी

ईरान की चतुराई

अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने यह भी बताया कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम जल्द ही फिर से सक्रिय हो सकता है। एक अधिकारी ने कहा कि ईरान ने हमले से पहले अपने संवर्धित यूरेनियम को अपने ठिकानों से हटा लिया था। हालांकि, व्हाइट हाउस ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है।


व्हाइट हाउस की प्रतिक्रिया

व्हाइट हाउस ने रिपोर्ट को झूठा बताया

व्हाइट हाउस ने अपनी ही खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट को गलत करार दिया है। प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा, "यह रिपोर्ट पूरी तरह से गलत है और इसका उद्देश्य राष्ट्रपति ट्रंप को नीचा दिखाना है।"


ट्रंप का बयान

ईरान पर बमबारी की तुलना

ट्रंप ने ईरान पर हमले की तुलना द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए हमलों से की। उन्होंने कहा, "यह हमला युद्ध को समाप्त करने वाला था।"


रिपोर्ट लीक पर चिंता

फॉक्स न्यूज से बातचीत में, अमेरिका के मध्य पूर्व के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने रिपोर्ट के लीक होने को देशद्रोह बताया और इसकी जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि इस तरह की संवेदनशील जानकारी का लीक होना बेहद गंभीर है।