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ईरान पर अमेरिकी हवाई हमलों के बाद विदेश मंत्री का कड़ा बयान

अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों के बाद, ईरानी विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन करार दिया और जवाबी कार्रवाई का अधिकार सुरक्षित रखा। ट्रम्प ने इसे सैन्य सफलता बताया, जबकि ईरान ने इस हमले को निंदनीय कहा है। जानें इस घटनाक्रम के पीछे की पूरी कहानी और इसके संभावित परिणाम।
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ईरान पर अमेरिकी हवाई हमलों के बाद विदेश मंत्री का कड़ा बयान

अमेरिका के हमले पर ईरान की प्रतिक्रिया

ईरान के तीन परमाणु स्थलों इस्फहान, नतांज, और फोर्दो पर अमेरिका द्वारा किए गए हवाई हमलों के बाद, ईरानी विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची ने एक सख्त प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून का "गंभीर उल्लंघन" बताया है। ईरान ने आत्मरक्षा में जवाबी कार्रवाई का अधिकार भी सुरक्षित रखा है।


अराघची ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होने के नाते, अमेरिका ने ईरान की शांतिपूर्ण परमाणु सुविधाओं पर हमला कर संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) का गंभीर उल्लंघन किया है।"




ईरानी विदेश मंत्री का बयान


उन्होंने आगे कहा, "आज सुबह की घटनाएं निंदनीय हैं और इसके स्थायी परिणाम होंगे। संयुक्त राष्ट्र के प्रत्येक सदस्य को इस अत्यंत खतरनाक, गैरकानूनी और आपराधिक व्यवहार से चिंतित होना चाहिए। ईरान अपनी संप्रभुता, हितों और लोगों की रक्षा के लिए सभी विकल्प सुरक्षित रखता है।"


अमेरिकी हमले और ट्रम्प का बयान


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर घोषणा की कि अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमले किए। व्हाइट हाउस में बोलते हुए, ट्रम्प ने इन हमलों को "शानदार सैन्य सफलता" बताया। उन्होंने मध्य पूर्व के "धमकाने वाले" (ईरान) को शांति के लिए आगे आने का आह्वान किया और चेतावनी दी कि किसी भी जवाबी कार्रवाई का "और अधिक बल" के साथ सामना किया जाएगा। ट्रम्प ने कहा कि ईरान के लिए अब "या तो शांति होगी या त्रासदी।"


मध्य पूर्व में तनाव की स्थिति


यह हमला इजरायल-ईरान संघर्ष के बीच हुआ, जो पहले से ही तनावपूर्ण स्थिति को और जटिल बना रहा है। ईरान की कड़ी प्रतिक्रिया और अमेरिका की चेतावनी ने क्षेत्रीय स्थिरता पर सवाल उठाए हैं। वैश्विक समुदाय इस घटनाक्रम पर नजर रखे हुए है।