ईरान में इजरायली हमलों का गहरा असर: खामेनेई की सलाहकार टीम को लगा बड़ा झटका

ईरान में इजरायली हमलों का प्रभाव
इजरायल के हमलों ने ईरान में व्यापक तबाही फैला दी है। एक तरफ, ईरान इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइलों से जवाबी कार्रवाई करने की कोशिश कर रहा है, जबकि दूसरी ओर, उसकी खुद की मिसाइल क्षमताएं कमजोर होती जा रही हैं। इजरायल का दावा है कि उसने ईरान की मिसाइल दागने की क्षमता को 40 प्रतिशत तक समाप्त कर दिया है। लेकिन ईरान को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब उसके सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई की कोर टीम के कई प्रमुख सदस्य इन हमलों में मारे गए।
खामेनेई की सलाहकार टीम का नुकसान
86 वर्षीय खामेनेई की करीबी सैन्य सलाहकार टीम, जिसमें IRGC प्रमुख हुसैन सलामी, मिसाइल कार्यक्रम के प्रमुख अमीर अली हाजीजादेह और खुफिया प्रमुख मोहम्मद काजेमी जैसे प्रमुख लोग शामिल थे, अब जीवित नहीं हैं। ये सभी खामेनेई के 'इनर सर्कल' का हिस्सा थे और देश की सुरक्षा, रणनीति और विदेश नीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। इनकी अनुपस्थिति ने खामेनेई को अकेला कर दिया है और उनकी निर्णय लेने की क्षमता पर सवाल उठाए हैं।
जापान टाइम्स की रिपोर्ट से चिंता बढ़ी
जापान टाइम्स ने खामेनेई के पांच पूर्व सलाहकारों के हवाले से बताया है कि अब उनके पास कोई ऐसा विश्वसनीय व्यक्ति नहीं है जो उन्हें जटिल निर्णयों में सही सलाह दे सके। विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्थिति में रणनीतिक गलतियों की संभावना बढ़ गई है, जो ईरान के लिए गंभीर खतरा बन सकती है।
खामेनेई की शक्ति और उत्तराधिकारी की चर्चा
1979 की इस्लामिक क्रांति से पहले जेल में रहे खामेनेई, 1989 से सत्ता में हैं। वह ईरान के सर्वोच्च नेता के रूप में सेना, न्यायपालिका, मीडिया और धार्मिक संस्थाओं पर पूर्ण नियंत्रण रखते हैं। ईरान में लोकतंत्र की केवल छाया है, असली शक्ति खामेनेई के हाथ में है। इजरायली हमलों के बीच अब यह सवाल उठने लगा है कि खामेनेई के बाद कौन होगा? सूत्रों के अनुसार, उनका बेटा मोजतबा खामेनेई, जो एक मौलवी हैं और पिछले दो दशकों में काफी प्रभावशाली बन चुके हैं, अब 'डि-फैक्टो शैडो लीडर' की भूमिका निभा रहे हैं। हालांकि आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि अगला सुप्रीम लीडर वंशानुगत तरीके से चुना जा सकता है, जो खुद खामेनेई की विचारधारा के विपरीत है।