ईसाई और हिंदू जनसंख्या में बदलाव: एक दशक का विश्लेषण

ईसाई देशों की संख्या में कमी
ईसाई देशों की स्थिति: पिछले दस वर्षों में वैश्विक धार्मिक जनसंख्याओं में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ है। प्यू रिसर्च सेंटर की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 201 मान्यता प्राप्त देशों में से अब केवल 120 देश ईसाई बहुल हैं, जो कि पिछले दशक में चार देशों की कमी दर्शाता है। वहीं, हिंदू बहुल देशों की संख्या केवल दो है - भारत और नेपाल। उल्लेखनीय है कि विश्व की 95% हिंदू जनसंख्या भारत में निवास करती है, जबकि शेष 5% अन्य देशों में फैली हुई है।
जनसंख्या के अनुपात में परिवर्तन
आबादी का समीकरण: 2010 से 2020 के बीच, वैश्विक ईसाई जनसंख्या 2.18 अरब से बढ़कर 2.3 अरब हो गई, लेकिन इसका वैश्विक अनुपात 30.6% से घटकर 28.8% रह गया। इस कमी का मुख्य कारण यूरोप, उत्तरी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे क्षेत्रों में धार्मिक विमुखता है, जहां लोग ईसाई धर्म को छोड़कर नास्तिकता या अन्य विश्वासों को अपना रहे हैं। इसके विपरीत, हिंदू जनसंख्या 1.1 अरब से बढ़कर 1.2 अरब हुई, जो वैश्विक जनसंख्या वृद्धि के अनुरूप है। हिंदुओं का वैश्विक अनुपात 14.9% पर स्थिर रहा है, क्योंकि उनकी प्रजनन दर वैश्विक औसत के बराबर है।
भारत में हिंदू जनसंख्या का हाल
हिंदू जनसंख्या का विश्लेषण: भारत में हिंदू जनसंख्या 2010 में 80% से घटकर 2020 में 79% हो गई, जबकि मुस्लिम जनसंख्या 14.3% से बढ़कर 15.2% हो गई। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भविष्यवाणी की है कि 2041 तक असम में हिंदू अल्पसंख्यक हो सकते हैं। तमिलनाडु के राज्यपाल एन. रवि ने भी पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार के सीमांत क्षेत्रों में बदलती जनसांख्यिकी पर चिंता व्यक्त की है।
हिंदू जनसंख्या में कमी के कारण
धर्म परिवर्तन की दर: हिंदुओं में धर्म परिवर्तन की दर बहुत कम है, जिसने उनकी जनसंख्या को स्थिर रखा है। हालांकि, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे देशों में हिंदू जनसंख्या तेजी से घट रही है। प्यू रिसर्च के अनुसार, 2050 तक भारत में हिंदू जनसंख्या 77% और मुस्लिम जनसंख्या 18% होने की संभावना है। यह बदलाव प्रजनन दर, प्रवासन और सामाजिक कारकों का परिणाम है।