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उच्चतम न्यायालय ने बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण पर निर्वाचन आयोग को दी चेतावनी

उच्चतम न्यायालय ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर निर्वाचन आयोग को चेतावनी दी है कि उन्हें पहले ही कदम उठाने चाहिए थे। न्यायालय ने नागरिकता की जांच के मुद्दे पर भी सवाल उठाए हैं। इस मामले में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसमें प्रमुख याचिकाकर्ता एक गैर-सरकारी संगठन है। जानें इस महत्वपूर्ण सुनवाई के बारे में और क्या कहा गया है।
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उच्चतम न्यायालय ने बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण पर निर्वाचन आयोग को दी चेतावनी

बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण पर उच्चतम न्यायालय की सुनवाई

उच्चतम न्यायालय ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के संदर्भ में निर्वाचन आयोग को यह कहा कि उन्हें पहले ही कदम उठाने चाहिए थे, अब समय निकल चुका है।


न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए निर्वाचन आयोग से कहा, 'यदि आपको बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के तहत नागरिकता की जांच करनी थी, तो यह कार्य पहले ही करना चाहिए था। अब यह समय बीत चुका है।'


पीठ ने यह भी पूछा कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण में नागरिकता का मुद्दा क्यों उठाया जा रहा है, जबकि यह गृह मंत्रालय का अधिकार क्षेत्र है।


उच्चतम न्यायालय ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के निर्वाचन आयोग के निर्णय के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की।


निर्वाचन आयोग ने न्यायालय को बताया कि संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार भारत में मतदाता बनने के लिए नागरिकता की जांच आवश्यक है।


निर्वाचन आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि उन्हें याचिकाओं पर आपत्तियां हैं।


द्विवेदी के साथ वरिष्ठ अधिवक्ता के. के. वेणुगोपाल और मनिंदर सिंह भी निर्वाचन आयोग का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।


एक याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण की अनुमति दी जा सकती है।


उन्होंने यह भी कहा कि समग्र एसआईआर के तहत लगभग 7.9 करोड़ नागरिक शामिल होंगे, और मतदाता पहचान पत्र तथा आधार कार्ड पर विचार नहीं किया जा रहा है। इस मामले की सुनवाई अभी जारी है।


उच्चतम न्यायालय में इस मामले से संबंधित 10 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें प्रमुख याचिकाकर्ता गैर-सरकारी संगठन 'एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स' है।


राजद सांसद मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, कांग्रेस के के सी वेणुगोपाल, शरद पवार नीत राकांपा गुट से सुप्रिया सुले, भाकपा से डी राजा, समाजवादी पार्टी से हरिंदर सिंह मलिक, शिवसेना (उबाठा) से अरविंद सावंत, झारखंड मुक्ति मोर्चा से सरफराज अहमद और भाकपा (माले) के दीपांकर भट्टाचार्य ने संयुक्त रूप से शीर्ष अदालत का रुख किया है।


सभी नेताओं ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के निर्वाचन आयोग के आदेश को चुनौती दी है और इसे रद्द करने का अनुरोध किया है।