उज़्बेकिस्तान में भगवान श्री कृष्ण की पूजा: जन्माष्टमी का धूमधाम

भगवान श्री कृष्ण की पूजा का वैश्विक विस्तार
नई दिल्ली। भगवान श्री कृष्ण केवल भारत में ही नहीं, बल्कि कई अन्य देशों में भी पूजे जाते हैं। जन्माष्टमी का पर्व कई स्थानों पर धूमधाम से मनाया जाता है। श्री कृष्ण की महिमा का गुणगान न केवल भारत में, बल्कि विश्वभर में किया जाता है। उज्बेकिस्तान में भी श्री कृष्ण के भक्त मौजूद हैं, जहां लोग उनके जीवन से जुड़ी कहानियों से भली-भांति परिचित हैं। यहां के निवासियों में श्री कृष्ण के प्रति गहरी श्रद्धा है।
उज़्बेकिस्तान, मध्य एशिया की एक प्राचीन सभ्यता का गवाह है। खिवा शहर, जो हजारों वर्षों पुरानी संस्कृति को समेटे हुए है, यहां की अनूठी परंपराओं का प्रतीक है। इस शहर में घरों का निर्माण एक विशेष तरीके से किया गया था, जो भाईचारे का प्रतीक है। आज भी, उज्बेकिस्तान में श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। प्राचीन शहरों से यह स्पष्ट होता है कि हमारी सभ्यताओं में आपसी भाईचारे को प्राथमिकता दी जाती थी। उज्बेकिस्तान की सभ्यता लगभग 1400 वर्ष पुरानी है, और खिवा शहर में इसकी प्राचीनता को संरक्षित किया गया है। यहां के घरों के बीच का रास्ता एक-दूसरे से जुड़ने के लिए बनाया गया था, ताकि लोग एक-दूसरे के साथ सहयोग कर सकें।
यहां के निवासियों का मानना है कि सबसे पहले ईरान से लोग आए थे, जिसके कारण आज भी पूर्वी ईरान की भाषा का प्रयोग होता है। इसके बाद तुर्की के लोग यहां आए और उन्होंने शासन भी किया। पुरातत्व विभाग के अनुसार, यह शहर छठी सदी में भी अस्तित्व में था। यहां की ऐतिहासिक घटनाओं में 1873 में रूसी जनरल कोन्सान्तिन वोन द्वारा शहर पर हमले का उल्लेख मिलता है।
कृष्ण की पूजा का ऐतिहासिक महत्व
क्यों यहाँ है कृष्ण पूजनीय
उज़्बेकिस्तान के खिवा शहर के लोग भगवान कृष्ण को पूजनीय मानते हैं, और इसके पीछे एक गहरा इतिहास छिपा हुआ है। भले ही ईरानी लोग इसे अपने खोज का श्रेय देते हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि यहां के लोग कृष्ण के जीवन से प्रभावित हैं। खिवा में कृष्ण भक्ति का ज्ञान यह दर्शाता है कि भारत के बाहर भी सनातन धर्म की जड़ें थीं और आज भी हैं। कहा जाता है कि उज्बेकिस्तान के लोग श्री कृष्ण का सम्मान उतना ही करते हैं, जितना कि भारतीय करते हैं।