उत्तर प्रदेश में जल जीवन मिशन: भ्रष्टाचार और विफलता की कहानी

जल जीवन मिशन की वास्तविकता
लखनऊ। जल जीवन मिशन के तहत 'हर घर शुद्ध जल' का वादा केवल कागजों तक सीमित रह गया है। प्रदेश के अधिकांश गांवों में लोग अब भी स्वच्छ जल के लिए तरस रहे हैं। हाल ही में पानी की टंकियों के गिरने के बाद अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच एक बड़ा खेल शुरू हो गया है।
वास्तव में, जहां पानी की टंकियां स्थापित की गई हैं, वहां परीक्षण के दौरान पानी की टंकियों में क्षमता के आधे पानी को भरकर परीक्षण किया जा रहा है ताकि वे गिरें नहीं और उनकी गुणवत्ता पर सवाल न उठे। इस प्रक्रिया में अधिकारी, कर्मचारी और ठेकेदार सभी शामिल हैं। यदि भविष्य में इन टंकियों में उनकी वास्तविक क्षमता के अनुसार पानी भरा गया, तो गंभीर हादसे की संभावना है। इसके बावजूद, अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदार अपने काम को जारी रखे हुए हैं।
गिरी हुई पानी की टंकियां
उत्तर प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत स्थापित कई पानी की टंकियां गिर चुकी हैं। सीतापुर, लखीमपुर खीरी और अन्य स्थानों पर ये टंकियां जमींदोज हो गई हैं। इसके बाद अधिकारियों और ठेकेदारों ने इन टंकियों को पास करने के लिए परीक्षण में धांधली शुरू कर दी है। यदि इसकी सही जांच की जाए, तो अधिकारियों और ठेकेदारों की करतूतें उजागर हो सकती हैं।
स्वच्छ जल की कमी
उत्तर प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत हर घर शुद्ध जल पहुंचाने का दावा केवल कागजों पर ही पूरा हो रहा है। अधिकांश स्थानों पर इस योजना का पानी लोगों के घरों तक नहीं पहुंचा है। कई जगहों पर तो पानी की टंकियां भी नहीं बनी हैं, जबकि कई घरों में इस योजना के तहत स्थापित पानी की टोटियां टूट चुकी हैं।
भ्रष्टाचार की परछाई
प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी की यह महत्वाकांक्षी योजना भ्रष्टाचार की चपेट में आ गई है। अधिकारियों ने अपने करीबी कंपनियों को टेंडर और कार्य देकर भ्रष्टाचार किया है। इस योजना में भ्रष्टाचार के चलते सुल्तानपुर में एक अधिशाषी अभियंता की हत्या भी हुई है। यदि इस योजना की सही जांच की जाए, तो कई बड़े अधिकारी भ्रष्टाचार के मामले में फंस सकते हैं।