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उत्तर प्रदेश में बाढ़ से जनजीवन प्रभावित, प्रशासन ने शुरू किया रेस्क्यू अभियान

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में भारी बारिश और नदियों के बढ़ते जलस्तर ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। रामगंगा और गंगन नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है, जिससे कई गांव जलमग्न हो गए हैं। प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए रेस्क्यू अभियान तेज कर दिया है। इस बीच, बाढ़ से दो लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। जानें इस स्थिति के बारे में और क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
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मुरादाबाद में बाढ़ की स्थिति

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में लगातार हो रही बारिश और नदियों के जलस्तर में वृद्धि ने स्थानीय निवासियों के जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। रामगंगा और गंगन नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है, जिसके कारण तीन तहसीलों के कई गांव जलमग्न हो गए हैं। कई स्थानों पर घरों में पानी भर गया है और सड़कें भी पूरी तरह से डूब गई हैं। अब तक दो लोगों की मौत की सूचना मिली है।


शनिवार को रामगंगा नदी का जलस्तर 191.25 मीटर तक पहुंच गया, जो कि खतरे के स्तर से 65 सेंटीमीटर अधिक है। गंगन नदी का जलस्तर भी बढ़ रहा है और यह 191.60 मीटर पर पहुंच गया है। इन दोनों नदियों के बढ़ते जलस्तर के कारण मुरादाबाद की सदर, कांठ और कुंदरकी तहसील के 67 से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं।


कुंदरकी क्षेत्र में 32 वर्षीय किसान दिनेश सैनी की बाढ़ में डूबने से मौत हो गई, जबकि कांठ क्षेत्र में हाईस्कूल का छात्र कपिल नहाते समय बह गया। इन घटनाओं ने क्षेत्र में शोक की लहर पैदा कर दी है।


प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए रेस्क्यू अभियान तेज कर दिया है। आशियाना कॉलोनी, जामा मस्जिद क्षेत्र और इस्लाम नगर जैसे स्थानों पर जलभराव के कारण रास्ते बंद कर दिए गए हैं। जिला प्रशासन ने एहतियात के तौर पर कई मोहल्लों के निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया है।


बाढ़ की गंभीरता को देखते हुए कटघर क्षेत्र में रामगंगा के किनारे बैरिकेडिंग की गई है। इसके अलावा, पुलिस प्रशासन ने सीएल गुप्ता नेत्र संस्थान जाने वाली सड़क पर यातायात रोक दिया है ताकि किसी भी प्रकार की अनहोनी से बचा जा सके।


जिले में पहली बार बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए एक एंबुलेंस बोट का उद्घाटन किया गया है, जिसका उद्घाटन एडीएम वित्त एवं राजस्व ममता मालवीय और एसडीएम सदर डॉ. राम मोहन मीणा ने किया। इस बोट के माध्यम से गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों को सुरक्षित निकाला जाएगा। नाव में जिला अस्पताल की मेडिकल टीम और आवश्यक दवाइयां उपलब्ध रहेंगी। यह पेट्रोल से चलने वाली नाव तेज धारा में भी काम कर सकती है और पानी के बीच चिकित्सा सुविधा प्रदान करेगी।


बाढ़ का प्रभाव केवल ग्रामीण क्षेत्रों तक सीमित नहीं है। शहर में निर्माणाधीन गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय परिसर में भी जलभराव के कारण निर्माण कार्य ठप हो गया है। इसके अलावा, कई क्षेत्रों में बिजली, पानी और सफाई जैसी मूलभूत सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं।