उत्तर प्रदेश में बाढ़ से जनजीवन प्रभावित, प्रशासन सक्रिय

बाढ़ की स्थिति और प्रशासनिक उपाय
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में गंगा, यमुना और अन्य नदियों का जलस्तर बढ़ने से कई जिलों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। अलीगढ़, बरेली, हाथरस, मथुरा सहित अन्य क्षेत्रों में पानी लोगों के घरों में घुस गया है। प्रशासन प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए प्रयासरत है।
दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर बाढ़ का असर
शाहजहांपुर में दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर बरेली मोड़ ओवरब्रिज से मौजमपुर गांव तक लगभग डेढ़ किलोमीटर क्षेत्र में पानी का बहाव बढ़ गया है। इससे वाहनों की आवाजाही में बाधा उत्पन्न हो रही है। शाम होते-होते पानी का बहाव और तेज हो गया, जिससे दोपहिया और हल्के वाहनों का संचालन ठप हो गया। राहगीरों को पैदल ही निकलना पड़ा।
प्रशासन की तैयारियां
एडीएम वित्त एवं राजस्व अरविंद कुमार ने बताया कि हाईवे पर पानी के बहाव को देखते हुए संबंधित टीमों को सतर्क कर दिया गया है। पीएसी की फ्लड यूनिट को हाईवे पर तैनात किया गया है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और सहायता के निर्देश दिए।
मौसम की स्थिति
प्रदेश में मौसम में कोई बड़ा बदलाव नहीं होने की संभावना है। रविवार को भी शनिवार जैसा मौसम रहने की उम्मीद है। शनिवार को तापमान में हल्की वृद्धि और हवा की कमी से गर्मी और उमस का अनुभव हुआ। मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि रविवार को भी इसी तरह का मौसम रहने की संभावना है, हालांकि कुछ स्थानों पर हल्की बारिश हो सकती है।
प्रयागराज और वाराणसी में बाढ़ का खतरा
प्रयागराज और वाराणसी में गंगा-यमुना का जलस्तर 82 मीटर को पार कर गया है, जिससे बाढ़ का पानी बस्तियों के करीब पहुंच गया है। अधिकारियों का कहना है कि जलस्तर 84 मीटर तक पहुंच सकता है, जिससे शहर का बड़ा हिस्सा फिर से बाढ़ की चपेट में आ सकता है। वाराणसी में यमुना नदी में बाढ़ के कारण गंगा का जलस्तर तीसरी बार बढ़ा है।
यमुना का विकराल रूप
यमुना नदी का जलस्तर अप्रत्याशित रूप से बढ़ गया है, जिससे शहर के कई हिस्सों में जलभराव हो गया है। पंचकोसी परिक्रमा मार्ग में जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रमुख गलियां और मार्ग पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं।
अलीगढ़ में बाढ़ का प्रभाव
अलीगढ़ के नरौरा से करीब ढाई लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद गंगा में बाढ़ की स्थिति बन गई है। लगभग 10 गांवों में पानी पहुंच गया है। यमुना खादर में भी 12 गांव पानी से घिरे हुए हैं। सबसे अधिक प्रभावित गांव महाराजगढ़ और शेरगढ़ से अब तक 1200 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है।