उत्तर प्रदेश में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता की आवश्यकता

शिक्षकों की नियुक्ति में NFS व्यवस्था पर आपत्ति
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए लागू 'Not Found Suitable' (NFS) प्रणाली पर समाज कल्याण विभाग के राज्यमंत्री असीम अरुण ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने मंगलवार को उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय से मुलाकात कर इस प्रणाली को समाप्त करने और नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने का अनुरोध किया।
बैठक में असीम अरुण के साथ डॉ. रवि प्रकाश, प्रो. एस.एस. गौरव, प्रो. ए.के. भारतीय और प्रो. नितिन गर्ग भी उपस्थित थे। राज्यमंत्री ने कहा कि कई योग्य उम्मीदवारों को बिना किसी स्पष्ट कारण के NFS घोषित कर दिया जाता है, जिससे आरक्षित वर्ग के प्रतिभाशाली अभ्यर्थियों का चयन नहीं हो पाता।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षित वर्ग के कई पद खाली हैं, लेकिन NFS जैसी अपारदर्शी प्रणाली के कारण इन पदों को नहीं भरा जा रहा है। उन्होंने NFS व्यवस्था को सीमित और स्पष्ट कारणों के साथ लागू करने, मनमाने प्रयोग पर रोक लगाने, और चयन प्रक्रिया में UGC और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) के दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने की मांग की।
राज्यमंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि सभी अभ्यर्थियों के शैक्षणिक अंक, शोध कार्य, लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के अंक दर्ज किए जाएं, ताकि चयन प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और जांच योग्य हो सके। इसके साथ ही, साक्षात्कार के दौरान वीडियो रिकॉर्डेड डेमो क्लास को अनिवार्य करने की भी मांग की गई।
असीम अरुण ने कहा कि शिक्षा में समान अवसर और न्याय सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। NFS जैसी प्रणाली से यदि प्रतिभाशाली अभ्यर्थियों का हक मारा जाता है, तो यह सामाजिक न्याय की भावना के खिलाफ है।