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उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच नए एक्सप्रेसवे का निर्माण

उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच एक नए ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का निर्माण शुरू होने जा रहा है, जो इन राज्यों के बीच यात्रा को तेज और सरल बनाएगा। यह एक्सप्रेसवे 88 किलोमीटर लंबा होगा और इसके निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य पूरा हो चुका है। इस परियोजना से स्थानीय निवासियों को कई लाभ होंगे, जैसे यात्रा का समय कम होना। जानें इस एक्सप्रेसवे के निर्माण की प्रक्रिया, भूमि अधिग्रहण की जानकारी और इसके संभावित लाभों के बारे में।
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उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच नए एक्सप्रेसवे का निर्माण

एक्सप्रेसवे का महत्व


उत्तर प्रदेश समाचार: उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच बेहतर कनेक्टिविटी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। यह नया ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे इन तीन राज्यों के बीच यात्रा को तेज और सरल बनाएगा, जो आर्थिक और औद्योगिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यमुना एक्सप्रेस-वे के तर्ज पर, 88 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे नवंबर से निर्माण के लिए तैयार है। इसके लिए आगरा, धौलपुर और मुरैना में भूमि अधिग्रहण का कार्य पूरा हो चुका है, और अंतिम चरण में लाभार्थियों को धनराशि का वितरण किया जाएगा।


भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया

भूमि अधिग्रहण

NHAI ने 88.400 किलोमीटर लंबे ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए उदयपुर की जीआर इंफ्रा प्रोजेक्ट्स को 4612.65 करोड़ रुपये का ठेका दिया है। यह परियोजना नवंबर से शुरू होकर 2028 तक 30 महीनों में पूरी होने की योजना है। यह सिक्स लेन एक्सप्रेसवे मध्य प्रदेश के चार जिलों को जोड़ेगा, जिसमें उत्तर प्रदेश के 14, राजस्थान के 18 और मध्य प्रदेश के 30 गांवों की भूमि अधिग्रहण की गई है।


अधिग्रहित गांवों की सूची

इन गांवों की जमीन ली गई

मध्य प्रदेश: मुरैना-ग्वालियर मार्ग

ग्वालियर के सुसैरा गांव की 5 हेक्टेयर और मुरैना के 25 गांवों की 250 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की गई है।

उत्तर प्रदेश में आगरा: देवरी आगरा बायपास, इरादत नगर, श्मश्वाद और सोसा सहित 18 गांवों के पास 132 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की गई है।

राजस्थान में धौलपुर: धौलपुर में मछरिया सहित 23 गांवों की 162 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की गई है।


धन वितरण की प्रक्रिया

वर्तमान राशि वितरण

भूमि अधिग्रहण कार्य पूरा होने के बाद, हितग्राहियों को धनराशि का वितरण अंतिम चरण में है। जैसे ही यह प्रक्रिया पूरी होगी, नवंबर से निर्माण कार्य शुरू होगा। सभी आवश्यक प्रक्रियाएं, जैसे NOCC, पूरी हो चुकी हैं। यह एक्सप्रेसवे मुरैना दिमनी से ग्वालियर के महाराजपुरा क्षेत्र को सीधे जोड़ेगा।


स्थानीय लाभ

पोरसा, अबाह और दिमनी को अधिक लाभ मिलेगा

एक्सप्रेसवे के निर्माण से दिमनी, अबाह और पोरसा क्षेत्र के निवासियों को सबसे अधिक लाभ होगा। वर्तमान में आगरा पहुंचने में 130 किलोमीटर की दूरी तय करने में लगभग चार घंटे लगते हैं, लेकिन नए एक्सप्रेसवे के माध्यम से यह दूरी डेढ़ घंटे में पूरी की जा सकेगी।


सड़क मरम्मत की आवश्यकता

रोड भी मरम्मत करनी होगी

ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे परियोजना के साथ, ग्वालियर से धौलपुर तक चलने वाले नेशनल हाइवे 44 की मरम्मत भी की जानी है। कंपनी को इस कार्य के लिए एक साल का समय दिया गया है, जो अक्टूबर 2026 तक पूरा होना है।


प्रोजेक्ट का विश्लेषण

प्रोजेक्ट का विश्लेषण

इस एक्सप्रेसवे पर एक समय में 31,435 चार पहिया वाहन चल सकेंगे। ग्वालियर से आगरा पहुंचने में वर्तमान में तीन घंटे लगते हैं, लेकिन एक्सप्रेसवे के माध्यम से यह समय घटकर 90 मिनट रह जाएगा।

यह एक्सप्रेसवे 63 गांवों (आगरा, धौलपुर, मुरैना और ग्वालियर) के माध्यम से 550 हेक्टेयर भूमि से गुजरेगा।

इसमें 42 अंडरपास, छह लिफ्ट, पांच ऊंचे पुल, एक रेल ओवरब्रिज और आठ बड़े पुल शामिल होंगे।

100 किलोमीटर से अधिक की गति से चलने वाले वाहनों में GPS-आधारित टोल सिस्टम और विकसित ट्रैफिक प्रबंधन प्रणाली होगी।

यदि वाहन रुकते हैं या कोई दुर्घटना होती है, तो कंट्रोल रूम से एंबुलेंस, फायर फाइटर और अन्य सेवाओं को सूचित किया जाएगा।

वन संचरण और पर्यावरण के लिए सुरंगें और वायडक्ट बनाए जाएंगे।

सभी पहाड़ी क्षेत्रों को री-लाइन किया जाएगा और सड़क पर कहीं भी घाट नहीं पड़ेगा।