उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार का मामला: मुकेश श्रीवास्तव पर FIR दर्ज

भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में लंबे समय से चल रहे भ्रष्टाचार के मामले में NRHM के आरोपी मुकेश श्रीवास्तव और उनके सहयोगियों पर कार्रवाई शुरू हो गई है। उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई है, जिसमें उनके भ्रष्टाचार के तरीकों का खुलासा हुआ है। यह स्पष्ट हो गया है कि कैसे ये लोग मिलकर भ्रष्टाचार का नेटवर्क चला रहे थे। FIR में बताया गया है कि बिना टेंडर के गोंडा में लाखों का काम मुकेश के पिता की कंपनी को मुख्य चिकित्सा अधिकारी की सहायता से दिया गया।
FIR में शामिल आरोपी
अयोध्या सेक्टर (सतर्कता अधिष्ठान) थाने में मुकेश श्रीवास्तव, उनके पिता राजेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव, बहराइच के तत्कालीन मुख्य चिकित्साधिकारी संतोष कुमार, गोण्डा के पूर्व मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. आभा आशुतोष और रामचंद्र सोनी के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। इसमें कहा गया है कि मुकेश और अन्य के खिलाफ गलत दवा कारोबार की खुली जांच के आदेश दिए गए थे, जिसके बाद यह FIR दर्ज की गई।
खुली जांच में सामने आए तथ्य
खुली जांच में यह पाया गया कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हलधर मऊ और कटरा बाजार में मरम्मत और विकास कार्य के लिए अवर अभियंता राम मनोहर मौर्या द्वारा स्टीमेट तैयार किया गया था। इसके बाद 6.11.2017 को 9204216.00 का बजट प्राप्त हुआ। तत्कालीन मुख्य चिकित्साधिकारी ने बिना टेंडर के अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए मेसर्स आर.पी. ग्रुप आफ कन्सट्रक्शन से अनुबंध किया। आरोप है कि यह कार्य नियमों के खिलाफ किया गया था।
तत्कालीन CMO की भूमिका
मुकेश के लिए तत्कालीन CMO ने जमकर किया खेल
जांच में यह स्पष्ट हुआ कि डॉ. संतोष कुमार ने मुकेश के लिए नियमों की अनदेखी की। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में अवर अभियंता की उपलब्धता के बावजूद बहराइच में काम कराया गया। कार्य की एम.बी. बहराइच के अवर अभियंता राम कुशल वर्मा द्वारा की गई थी।
स्वास्थ्य विभाग में मिलीभगत
NRHM के आरोपी पर मेहरबान रहे स्वास्थ्य विभाग के अफसर
जांच में यह भी सामने आया कि मुकेश श्रीवास्तव पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मेहरबानी रही। डॉ. सतीश कुमार, डॉ. आभा आशुतोष और अन्य ने अनुचित लाभ के लिए मुकेश का समर्थन किया।
पिता के नाम पर बनाई फर्म
पिता के नाम पर मुकेश श्रीवास्तव ने बनाई फर्म
मुकेश ने अपने पिता के नाम पर मेसर्स आर.पी. ग्रुप आफ कन्सट्रक्शन नाम की फर्म स्थापित की थी। जांच में यह भी पाया गया कि आरोपी ने अपने पिता की फर्म के खाते से 416613.00 रुपये प्राप्त किए।
दो दशकों से चल रहा भ्रष्टाचार
करीब दो दशक से चल रहा मुकेश का राज
स्वास्थ्य विभाग में मुकेश श्रीवास्तव का प्रभाव पिछले दो दशकों से बना हुआ है। इसके खिलाफ कई गंभीर शिकायतें आई हैं, लेकिन इसके बावजूद वह विभाग में सक्रिय है। मुकेश अब अपने करीबी लोगों की कंपनियों के माध्यम से काम कर रहा है।