उत्तरकाशी में बादल फटने से आई तबाही: जानें क्लाउडबर्स्ट के कारण और प्रभाव

उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार दोपहर को बादल फटने से भारी तबाही हुई। गंगोत्री धाम को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-34 के किनारे स्थित इस गांव का एक बड़ा हिस्सा तेज बहाव में बह गया, जिससे भागीरथी नदी के किनारे कई घरों को नुकसान पहुंचा। राहत और बचाव कार्य में सेना, एसडीआरएफ और पुलिस की टीमें सक्रिय हैं। यह घटना एक बार फिर 'क्लाउडबर्स्ट' जैसी आपदाओं की गंभीरता को उजागर करती है और इसके वैज्ञानिक पहलुओं को समझने की आवश्यकता को दर्शाती है.
क्लाउडबर्स्ट क्या है?
'क्लाउडबर्स्ट' का अर्थ है एक सीमित क्षेत्र में अत्यधिक बारिश होना। यह सामान्य बारिश से भिन्न होता है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, जब 20-30 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में एक घंटे में 100 मिमी या उससे अधिक बारिश होती है, तो इसे 'क्लाउडबर्स्ट' कहा जाता है। इस स्थिति में ऐसा प्रतीत होता है कि आकाश से बाढ़ आ रही है।
क्लाउडबर्स्ट की वैज्ञानिक प्रक्रिया
जब नमी से भरी हवा पहाड़ी क्षेत्रों से टकराकर ऊपर उठती है, तो वहां का तापमान तेजी से गिरता है। इससे हवा में मौजूद भाप ठंडी होकर पानी की बूंदों में बदल जाती है। ये बूंदें भारी होती जाती हैं और जब हवाएं इन्हें संभाल नहीं पातीं, तो ये एक साथ गिरती हैं। यही प्रक्रिया 'क्लाउडबर्स्ट' कहलाती है।
क्लाउडबर्स्ट में पानी की मात्रा
क्लाउडबर्स्ट के दौरान पानी की गिरावट की गति का अंदाजा इस तरह लगाया जा सकता है: यदि 1 घंटे में 100 मिमी बारिश होती है, तो 1 मिनट में लगभग 1.67 मिमी बारिश होती है। इसका मतलब है कि 1 वर्ग मीटर क्षेत्र में 1 मिनट में 1.67 लीटर पानी गिरता है। यदि यह 1 वर्ग किलोमीटर (10 लाख वर्ग मीटर) में होता है, तो 1 मिनट में गिरने वाला पानी 16.7 लाख लीटर होगा। जब यह बारिश पहाड़ी क्षेत्रों में होती है, तो मिनटों में अरबों लीटर पानी गिर सकता है, जो तबाही का कारण बनता है।
क्यों होती है इतनी तबाही?
इतनी भारी मात्रा में पानी इतनी तेजी से गिरता है कि जमीन उसे सोख नहीं पाती। नदियां और नाले इस जलप्रवाह को संभाल नहीं पाते, जिससे अचानक बाढ़, भूस्खलन और संपत्ति का नुकसान होता है। पर्वतीय क्षेत्रों में यह स्थिति और भी खतरनाक हो जाती है, जहां गांव नदियों के किनारे बसे होते हैं।
समाधान क्या है?
इस प्रकार की घटनाओं से निपटने के लिए मौसम विभाग द्वारा समय पर चेतावनी देना, पर्वतीय क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियों पर नियंत्रण, नदी किनारे की आबादी को स्थानांतरित करना और आपदा प्रबंधन की तैयारियों को मजबूत करना आवश्यक है।