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उत्तरकाशी में बादल फटने से तबाही: श्रद्धालुओं का वीडियो सामने आया

उत्तरकाशी में 5 अगस्त को बादल फटने से धराली गांव में भारी तबाही हुई है। एक वीडियो में श्रद्धालु भक्ति में लीन नजर आ रहे थे, लेकिन बाद में कई लोग लापता हो गए। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 5 लोगों की मौत हुई है और लगभग 200 लोग लापता हैं। मुख्यमंत्री ने बचाव कार्य की समीक्षा की है, लेकिन स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है। जानें इस घटना के बारे में और अधिक जानकारी।
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उत्तरकाशी में बादल फटने से तबाही: श्रद्धालुओं का वीडियो सामने आया

उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना

Uttarkashi Cloud burst: उत्तरकाशी के धराली से एक नया वीडियो सामने आया है, जिसमें एक मंदिर का दृश्य कैद किया गया है। इस तीन मिनट के वीडियो में, दर्शकों ने मंदिर की पहली और दूसरी मंजिल का नजारा दिखाया। मंदिर के नीचे स्थानीय लोग भजनों पर नाचते नजर आ रहे हैं, जबकि बड़ी संख्या में पर्यटक भी वहां मौजूद हैं। यह दृश्य रात का है, जहां सभी लोग भक्ति में लीन हैं। मंदिर की दूसरी मंजिल पर माता की डोली रखी गई है, और सभी श्रद्धालु उस पल का आनंद ले रहे हैं। जगराता के बाद, लोग सो गए, लेकिन अगले दिन 5 अगस्त को कई लोग उठे और कई देर तक सोते रहे। दोपहर में धीरगंगा का प्रकोप उन पर कहर बनकर टूटा। वीडियो में दिख रहे सभी लोग अब लापता बताए जा रहे हैं।


आपदा का प्रभाव

दोपहर में आई थी आपदा


5 अगस्त को धीरगंगा में बाढ़ के कारण धराली गांव बुरी तरह प्रभावित हुआ। इस आपदा ने बाजार के क्षेत्र को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया, जहां कई होटल, रेस्टोरेंट और दुकानें थीं। आपदा के बाद पूरा इलाका तबाह हो गया।


लापता लोगों की संख्या

लापता कितने, पता नहीं


आपदा में लापता लोगों की सही संख्या अभी तक स्पष्ट नहीं है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 5 लोगों की मौत हुई है और लगभग 200 लोग लापता हैं। प्रशासन के अनुसार, करीब 140 लोगों को बचा लिया गया है, लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है। पानी और मलबे के बहाव में कई लोग दब गए हैं, जिनका कोई पता नहीं है।


मुख्यमंत्री की बैठक

सीएम ने अधिकारियों से साथ की बैठक


आपदा के तीसरे दिन भी बचाव कार्य जारी है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार रात को उत्तरकाशी में NDRF और ITBP के अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने धराली में चल रहे बचाव अभियान की समीक्षा की। सेना, NDRF, ITBP, SDRF, उत्तराखंड पुलिस और स्थानीय प्रशासन के सहयोग से व्यापक बचाव अभियान चलाया जा रहा है।