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उत्तराखंड पंचायत चुनावों के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख पदों की राजनीतिक जंग

उत्तराखंड में हाल ही में संपन्न त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख पदों के लिए भाजपा और कांग्रेस के बीच राजनीतिक संघर्ष तेज हो गया है। भाजपा ने पंचायत स्तर पर अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए रणनीतियाँ बनाई हैं, जबकि कांग्रेस भी पूरी ताकत से मैदान में उतर चुकी है। देहरादून जिले में चुनाव परिणाम दिलचस्प समीकरण प्रस्तुत करते हैं, जहां भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अपने-अपने दावों के साथ आगे बढ़ रही हैं। आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो चुका है, जिससे चुनावी माहौल और भी गरम हो गया है।
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राजनीतिक मुकाबला तेज

उत्तराखंड में हाल ही में संपन्न त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के परिणामों के बाद अब असली राजनीतिक संघर्ष जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख पदों के लिए शुरू हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस दोनों ही अपनी रणनीतियों को मजबूत करने में जुटी हैं ताकि पंचायत स्तर पर अपनी स्थिति को और मजबूत किया जा सके।


भाजपा ने ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायतों में कई सीटें अपने समर्थित उम्मीदवारों के माध्यम से जीती हैं और अब वे अगले चरण की तैयारी में हैं। रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की। बैठक में प्रदेश महामंत्री अजेय कुमार भी शामिल थे। इस चर्चा का मुख्य विषय था कि जिला पंचायत और ब्लॉक प्रमुख चुनावों में पार्टी के लिए बहुमत कैसे सुनिश्चित किया जाए।


महेंद्र भट्ट ने सीएम को पंचायत स्तर पर भाजपा समर्थित उम्मीदवारों की जीत की जानकारी दी और बताया कि कई निर्दलीय विजेता पार्टी की विचारधारा के करीब हैं, जिन्हें पार्टी में शामिल करने की कोशिशें चल रही हैं।


कांग्रेस ने भी चुनावी मैदान में पूरी ताकत से उतरने का निर्णय लिया है। पार्टी ने पहले से ही जिलों में पर्यवेक्षक नियुक्त किए थे, जिन्होंने त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अब ये पर्यवेक्षक जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख पदों के लिए संभावित उम्मीदवारों की सूची तैयार कर प्रदेश नेतृत्व को भेज रहे हैं।


प्रदेश उपाध्यक्ष (संगठन) सूर्यकांत धस्माना के अनुसार, पर्यवेक्षक स्थानीय नेताओं, विधायकों, पूर्व जनप्रतिनिधियों और नव-निर्वाचित सदस्यों से संवाद कर पैनल तैयार कर रहे हैं। कांग्रेस का मानना है कि यदि चुनाव निष्पक्ष तरीके से संपन्न हुए, तो परिणाम भाजपा के लिए चौंकाने वाले हो सकते हैं।


देहरादून जिले में चुनाव परिणाम दिलचस्प समीकरण प्रस्तुत करते हैं। यहां भाजपा समर्थित सात, कांग्रेस समर्थित 13 और 10 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। भाजपा का दावा है कि कई निर्दलीय उम्मीदवार उनकी विचारधारा से जुड़े हैं और उन्हें समर्थन देने को तैयार हैं। वहीं कांग्रेस इस गणित को पलटने की कोशिश कर रही है।


जैसे-जैसे ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष पदों की लड़ाई तेज हो रही है, आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी गर्म हो गया है। कांग्रेस ने भाजपा पर धनबल के इस्तेमाल का आरोप लगाते हुए कहा कि सत्ता पक्ष चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। कांग्रेस का दावा है कि यदि लोकतांत्रिक प्रक्रिया निष्पक्ष रही, तो पंचायत स्तर पर सत्ता संतुलन बदल सकता है।