उत्तराखंड में अंकिता भंडारी हत्या मामले का राजनीतिक प्रभाव और न्याय की खोज
उत्तराखंड में अंकिता भंडारी की हत्या ने न केवल एक निर्दोष जीवन का अंत किया, बल्कि राज्य की राजनीतिक संरचना में व्याप्त संरक्षण को भी उजागर किया। मुख्य आरोपी पुलकित आर्य के परिवार के भाजपा से संबंध और उनके खिलाफ की गई कार्रवाई ने इस मामले को और जटिल बना दिया है। एसआईटी की जांच में 100 से अधिक गवाहों और वैज्ञानिक साक्ष्यों का उपयोग किया गया, लेकिन अंकिता के माता-पिता न्याय की उम्मीद में हैं। जानें इस मामले की पूरी कहानी और इसके राजनीतिक प्रभाव के बारे में।
May 31, 2025, 12:51 IST
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अंकिता भंडारी हत्या मामला: एक निर्दोष जीवन का अंत
उत्तराखंड में अंकिता भंडारी की हत्या ने न केवल एक निर्दोष युवती की जान ली, बल्कि यह राज्य की राजनीतिक संरचना में व्याप्त संरक्षण की परतों को भी उजागर कर दिया। मुख्य आरोपी पुलकित आर्य के परिवार के सदस्य, विनोद आर्य और अंकित आर्य, भाजपा से जुड़े रहे हैं। विनोद आर्य ने भाजपा में अपनी पहचान बनाई और राज्य मंत्री के स्तर तक पहुंचे। उनके बड़े बेटे अंकित को राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। हालांकि, इस घटना के बाद भाजपा ने दोनों को पार्टी से निष्कासित कर दिया और अंकित को आयोग के पद से हटा दिया।विनोद आर्य का आयुर्वेद व्यवसाय भी उनकी राजनीतिक पहुंच का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जिसका उपयोग उन्होंने अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए किया। उनकी पहचान हरिद्वार के आर्य नगर में स्थित उनके घर से होती थी, जो भाजपा के झंडों और कारों से सजा रहता था।
इस मामले में एसआईटी ने 100 से अधिक गवाहों और वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों को दोषी ठहराया। चंद्रमा की स्थिति का विश्लेषण भी जांच में सहायक सिद्ध हुआ, जिससे घटना के समय और स्थान की पुष्टि हुई। हालांकि न्यायालय ने तीनों आरोपियों को उम्रभर की सजा सुनाई, अंकिता के माता-पिता इस फैसले से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। वे दोषियों को मृत्युदंड की सजा की उम्मीद कर रहे थे, ताकि उनकी बेटी को वास्तविक न्याय मिल सके। यह मामला यह दर्शाता है कि सत्ता और संरक्षण के बावजूद, सख्त जांच और न्यायिक प्रक्रिया से अपराधियों को सजा मिल सकती है।