उत्तराखंड में अंकिता भंडारी हत्या मामले में बड़ा फैसला: तीन दोषियों को मिली सजा

अंकिता भंडारी हत्या मामले में अदालत का निर्णय
उत्तराखंड की एक अदालत ने शुक्रवार को अंकिता भंडारी हत्या मामले में महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। अदालत ने पूर्व भाजपा नेता विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य और उसके दो साथियों – सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता – को 19 वर्षीय रिसेप्शनिस्ट अंकिता की हत्या का दोषी ठहराया। यह फैसला पौड़ी जिले के कोटद्वार स्थित अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय द्वारा सुनाया गया।
अंकिता भंडारी यमकेश्वर क्षेत्र में पुलकित आर्य के वनंतरा रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में कार्यरत थीं। 18 सितंबर 2022 को वह अचानक लापता हो गईं, जिसके बाद कई दिनों तक उनकी खोज की गई। अंततः उनका शव ऋषिकेश के पास चिल्ला नहर में मिला। इस दुखद घटना ने पूरे उत्तराखंड को हिला कर रख दिया। इस मामले ने महिला सुरक्षा, राजनीतिक हस्तक्षेप और न्याय प्रणाली की पारदर्शिता पर राष्ट्रीय बहस को जन्म दिया।
विशेष जांच दल द्वारा गहन जांच
एसआईटी ने दर्ज किए थे 97 गवाह
मामले की गंभीरता को देखते हुए उत्तराखंड पुलिस ने विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया। एसआईटी ने 500 पन्नों का आरोपपत्र अदालत में पेश किया, जिसमें 97 गवाहों के बयान शामिल थे। इनमें से 47 गवाहों के बयान 28 मार्च 2023 से शुरू हुई सुनवाई के दौरान दर्ज किए गए।
आरोप और धाराएं
आरोप और धाराएं
पुलकित आर्य और अन्य दो आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 201 (साक्ष्य मिटाने), 354 ए (यौन उत्पीड़न) और अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया गया। बाद में इन पर गैंगस्टर एक्ट भी लगाया गया। पुलकित पर आरोप है कि उसने अंकिता को रिसॉर्ट में आने वाले वीआईपी ग्राहकों को 'विशेष सेवा' देने के लिए दबाव डाला, जिससे देशभर में रोष उत्पन्न हुआ।
अंकिता की मां की सजा की मांग
मां ने की दोषियों को फांसी देने की मांग
अदालत के फैसले से पहले अंकिता भंडारी की मां ने मीडिया से बातचीत में कहा, 'अपराधियों को मौत की सजा मिलनी चाहिए।' उन्होंने उत्तराखंड की जनता से अपील की कि वे कोटद्वार अदालत में उपस्थित होकर उनके परिवार का समर्थन करें। उन्होंने यह भी कहा कि न्याय तभी पूरा होगा जब तीनों दोषियों को फांसी की सजा दी जाएगी।
सजा के ऐलान पर सबकी नजर
फैसले पर पूरे देश की नजर
अब सभी की नजरें सजा के ऐलान पर टिकी हैं। यह मामला केवल एक बेटी को न्याय दिलाने का नहीं, बल्कि समाज में महिला सुरक्षा और राजनीतिक हस्तक्षेप के खिलाफ न्यायपालिका की ताकत को भी दर्शाता है। अदालत ने दोष तय कर दिए हैं, लेकिन जनता अब फांसी जैसी कठोर सजा की प्रतीक्षा कर रही है।