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उत्तराखंड में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए सहकारी समितियों का नया कदम

उत्तराखंड में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए सहकारी समितियों को नए कार्यों में शामिल किया जा रहा है। अब ये समितियां पेट्रोल पंप, जन औषधि केंद्र, और सौर ऊर्जा परियोजनाओं जैसे क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभाएंगी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे और स्थानीय लोगों की आवश्यकताएं भी पूरी होंगी। जानें इस बदलाव के बारे में और कैसे यह किसानों और ग्रामीण परिवारों को लाभ पहुंचाएगा।
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ग्रामीण विकास की नई दिशा

उत्तराखंड में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। राज्य की बहुउद्देशीय सहकारी समितियां अब केवल खाद और बीज बेचने तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि पेट्रोल पंप, जन औषधि केंद्र, होमस्टे और सौर ऊर्जा परियोजनाओं जैसे नए क्षेत्रों में भी सक्रिय भूमिका निभाएंगी। इस परिवर्तन से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे और स्थानीय लोगों की आवश्यकताएं भी उनके दरवाजे पर पूरी होंगी।


राज्य में वर्तमान में लगभग 671 बहुउद्देशीय सहकारी समितियां कार्यरत हैं, जो पहले किसानों को खाद, बीज और ऋण जैसी सेवाएं प्रदान करती थीं। अब इन समितियों को 27 नए क्षेत्रों में कार्य करने की अनुमति दी गई है, जिससे न केवल उनकी कार्यक्षमता बढ़ेगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।


नोडल अधिकारी एमपी त्रिपाठी के अनुसार, हर जिले की भौगोलिक स्थिति और आवश्यकताओं के अनुसार समितियों को नए कार्यों में लगाया जाएगा। मैदानी क्षेत्रों में हर गांव में एक समिति स्थापित की जाएगी, जबकि पहाड़ी जिलों में क्षेत्र पंचायत स्तर पर समितियों का गठन किया जाएगा। इस प्रक्रिया की शुरुआत हरिद्वार जिले से हो चुकी है और इसे ऊधमसिंह नगर तक विस्तारित किया जाएगा।


समितियों की भागीदारी अब निम्नलिखित क्षेत्रों में बढ़ेगी: ऊर्जा और ईंधन (पेट्रोल-डीजल पंप, सौर ऊर्जा संयंत्र), स्वास्थ्य सेवाएं (जन औषधि केंद्र, अस्पताल), शिक्षा (विद्यालय, महाविद्यालय), कृषि एवं पशुपालन (डेयरी, मधुमक्खी पालन), प्रसंस्करण और मार्केटिंग (स्थानीय उत्पादों की प्रोसेसिंग), पर्यटन और आवास (ग्रामीण होमस्टे), डिजिटल सेवाएं (कॉमन सर्विस सेंटर), और लॉजिस्टिक्स (गोदाम निर्माण)।


इस बदलाव का सबसे बड़ा लाभ उन किसानों और ग्रामीण परिवारों को होगा जो अब तक पारंपरिक साधनों से ही सेवाएं प्राप्त कर रहे थे। समितियों के बहुआयामी बनने से उन्हें अपने गांव या क्षेत्र में स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और कृषि से जुड़ी आवश्यकताओं को पूरा करने का साधन मिलेगा।