उत्तराखंड में युवक की आत्महत्या से मचा हड़कंप, प्रदर्शनकारियों ने किया चक्का जाम
जितेंद्र कुमार की आत्महत्या का मामला
उत्तराखंड के पौड़ी जिले के तलसारी गांव में 32 वर्षीय जितेंद्र कुमार की आत्महत्या ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है। यह घटना गुरुवार रात को हुई, जिसके बाद शुक्रवार को अंतिम संस्कार के समय माहौल तनावपूर्ण हो गया। जब शव को पैतृक घाट ले जाया जा रहा था, तो परिजन और स्थानीय लोग बद्रीनाथ राजमार्ग पर कीर्तिनगर पुल के पास धरने पर बैठ गए और जाम लगा दिया। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि बीजेपी युवा मोर्चा से जुड़े आरोपी हिमांशु चमोली को कड़ी सजा दी जाए।जितेंद्र ने आत्महत्या से पहले एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया था, जिसके आधार पर पुलिस ने हिमांशु चमोली और पांच अन्य व्यक्तियों को हिरासत में लिया है। परिजनों का कहना है कि जब तक मुख्य आरोपी को सजा नहीं मिलती, वे अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी नहीं करेंगे।
जितेंद्र की बहन पूनम ने मीडिया से बातचीत में बताया कि हिमांशु चमोली लंबे समय से उनके भाई को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा था। उन्होंने कहा, “मेरे भाई ने गिरगांव में कचरे की डंपिंग के खिलाफ आवाज उठाई थी, जिसके कारण कुछ लोगों ने उस पर झूठा केस दर्ज कर दिया था। तब से वह गंभीर अवसाद में था।” पूनम ने यह भी बताया कि आत्महत्या से पहले जितेंद्र ने घर पर पेट्रोल भरवाने के लिए पैसे भेजने को कहा था, लेकिन कुछ ही समय बाद उसने अपनी जान ले ली।
शुक्रवार को हुए चक्का जाम में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। नाराज भीड़ ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए और नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वर्तमान शासन में अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है। उन्होंने अंकिता भंडारी हत्याकांड और जितेंद्र के मामले में भाजपा नेताओं की कथित भूमिका पर सवाल उठाए।
स्थिति को बिगड़ता देख प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। उपजिलाधिकारी नुपूर वर्मा ने लोगों को शांत करने का प्रयास किया, लेकिन भीड़ का गुस्सा कम नहीं हुआ। स्थानीय पुलिस बल, जिसमें पुलिस उपाधीक्षक अनुज कुमार और कोतवाली प्रभारी जयपाल सिंह नेगी भी शामिल थे, हालात को काबू में करने की कोशिश करते रहे। लोगों की मुख्य मांग थी कि आरोपी को फांसी की सजा दी जाए या उन्हें सौंपा जाए।
जितेंद्र की मौत ने राज्य में कानून-व्यवस्था और राजनीतिक दबाव पर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। जहां परिजन और ग्रामीण न्याय की मांग कर रहे हैं, वहीं प्रशासन भीड़ को शांत करने और यातायात को सामान्य करने में जुटा है। अब यह देखना होगा कि इस संवेदनशील मामले में सरकार और पुलिस आगे क्या कदम उठाते हैं।