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उदयपुर में स्कूल की दीवार गिरने से बची बड़ी दुर्घटना, प्रशासन की लापरवाही पर उठे सवाल

उदयपुर में एक सरकारी स्कूल की दीवार गिरने से एक बड़ा हादसा टल गया। घटना ने प्रशासन की लापरवाही और जर्जर स्कूल भवनों की स्थिति को उजागर किया है। स्थानीय ग्रामीणों ने लंबे समय से इस समस्या के बारे में चेतावनी दी थी, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। अब, शिक्षा विभाग और प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठ रही है। यदि सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया, तो भविष्य में और भी गंभीर हादसे हो सकते हैं।
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उदयपुर में स्कूल की दीवार गिरने से बची बड़ी दुर्घटना, प्रशासन की लापरवाही पर उठे सवाल

स्कूल भवन की खस्ता हालत का मामला

उदयपुर। राजस्थान में सरकारी स्कूलों की जर्जर स्थिति की एक और घटना सामने आई है। उदयपुर जिले के वल्लभनगर ब्लॉक के रूपावली गांव में एक सरकारी स्कूल की दीवार रविवार सुबह अचानक गिर गई। सौभाग्य से, स्कूल में छुट्टी होने के कारण कोई छात्र या स्टाफ मौजूद नहीं था, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया। यदि यह घटना किसी अन्य दिन होती, तो यह झालावाड़ जैसी त्रासदी को दोहरा सकती थी, जिसमें सात बच्चों की जान गई थी।


स्थानीय लोगों की चिंता और प्रशासन की अनदेखी

ग्रामीणों का कहना है कि वे लंबे समय से स्कूल की खराब स्थिति के बारे में प्रशासन और शिक्षा विभाग को सूचित कर रहे थे। शनिवार को, उन्होंने विद्यालय की जर्जर इमारत के खिलाफ प्रदर्शन किया था, जिसमें इसे बच्चों के लिए खतरा बताया गया था। इसके बावजूद, न तो शिक्षा विभाग ने कोई कदम उठाया और न ही प्रशासन ने इस पर ध्यान दिया। इसी लापरवाही का नतीजा यह हुआ कि दीवार गिर गई।


घटना के बाद की स्थिति

ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल की दीवार में पहले से ही दरारें थीं और बारिश के कारण स्थिति और बिगड़ गई थी। स्थानीय लोगों में गुस्सा है और वे मांग कर रहे हैं कि जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। यह घटना झालावाड़ में हुई दुर्घटना की याद दिलाती है, जहां एक स्कूल की इमारत गिरने से कई बच्चों की जान गई थी। उस समय शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा था कि वह अपनी जेब से मरम्मत नहीं कर सकते।


राजस्थान सरकार की लापरवाही

राजस्थान सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 2,710 से अधिक स्कूल भवन जर्जर स्थिति में हैं। मरम्मत के लिए 254 करोड़ रुपये की आवश्यकता बताई गई थी, लेकिन अब तक केवल 79.24 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि बच्चों की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता नहीं है। वल्लभनगर की घटना के बाद विपक्षी दलों ने सरकार को घेर लिया है।


तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता

शिक्षाविदों और बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने सभी जिलों में स्कूल भवनों का तत्काल ऑडिट कराने की मांग की है। बारिश के मौसम में खतरनाक और जर्जर भवनों में कक्षाएं न लगाई जाएं। इसके अलावा, सभी शिक्षकों और स्टाफ को आपात स्थिति से निपटने का प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है। वल्लभनगर की यह घटना सरकारी उदासीनता की गंभीरता को उजागर करती है। यदि सरकार ने अब भी चेत नहीं की, तो भविष्य में और भी गंभीर हादसे हो सकते हैं।