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उद्धव और राज ठाकरे का ऐतिहासिक मिलन, मराठी भाषा पर जोर

उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने एक साथ मंच साझा किया, जो कई वर्षों बाद हुआ। इस रैली में मराठी भाषा के मुद्दे पर जोर दिया गया। शिवसेना (यूबीटी) की प्रवक्ता किशोरी पेडनेकर ने इसे खुशी का दिन बताया। दोनों नेताओं ने पहले त्रिभाषी नीति के खिलाफ अलग-अलग विरोध प्रदर्शन किया था, लेकिन अब वे एकजुट होकर रैली कर रहे हैं। जानें इस ऐतिहासिक मिलन के पीछे की कहानी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा उठाए गए कदम।
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उद्धव और राज ठाकरे का ऐतिहासिक मिलन, मराठी भाषा पर जोर

शिवसेना (यूबीटी) और मनसे का एक मंच पर आना

मुंबई। शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने शनिवार को कई वर्षों के बाद एक साथ मंच साझा किया। इस रैली के बारे में शिवसेना (यूबीटी) की पूर्व मेयर और प्रवक्ता किशोरी पेडनेकर ने कहा कि यह एक खुशी का दिन है।


किशोरी पेडनेकर ने कहा कि हमें बहुत खुशी और आनंद महसूस हो रहा है। आज मनसे और शिवसैनिकों का मिलन हो रहा है, और यह हमारे लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। जब हम अलग थे, तब हम अपने मुद्दों और दृष्टिकोण के अनुसार कार्य कर रहे थे, लेकिन अब यह हमारी मराठी भाषा का सवाल है। जो लोग मराठी पर सवाल उठाते हैं, उनके लिए हम नाखून नहीं, बल्कि उंगली काट देंगे।


उद्धव और राज ठाकरे के एक साथ आने पर शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि लगभग 20 वर्षों बाद दोनों नेता एक मंच पर उपस्थित हुए हैं। हालांकि, यह कोई राजनीतिक मंच नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक मंच है। यह महाराष्ट्र की पहचान और सम्मान की लड़ाई है। आज 5 जुलाई को हमने जो हासिल किया है, वह एक जीत का जश्न और विजय जुलूस है।


गौरतलब है कि महाराष्ट्र में त्रिभाषी नीति को लेकर उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने पहले अलग-अलग विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया था। लेकिन अब दोनों नेता एक साथ रैली कर रहे हैं। इस बीच, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भाषा विवाद बढ़ने के बाद राज्य में त्रिभाषी नीति को वापस ले लिया है।


उन्होंने रिपोर्ट तैयार करने के लिए पूर्व योजना आयोग के सदस्य नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन की घोषणा की है। समिति की रिपोर्ट आने तक प्राथमिक स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को लागू करने का आदेश वापस ले लिया गया है।