उद्धव और राज ठाकरे की रैली: मराठी अस्मिता की रक्षा का संकल्प

मराठी गौरव की रक्षा के लिए एकजुटता
उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने शनिवार को मुंबई के वर्ली में एक विशाल रैली में मराठी अस्मिता और गौरव की रक्षा के लिए एकजुटता का प्रदर्शन किया। उद्धव ने इस अवसर पर कहा, “हाँ, हम गुंडे हैं; अगर न्याय के लिए गुंडागिरी करनी पड़े, तो हम करेंगे।” यह बयान उन आलोचनाओं का जवाब था, जिनमें ठाकरे समर्थकों पर मराठी न बोलने वालों के साथ हिंसा करने के आरोप लगे थे।
राज ठाकरे का बयान
‘मारो, लेकिन वीडियो मत बनाओ’
रैली में राज ठाकरे ने मराठी में बोलते हुए कहा, “यहाँ चाहे गुजराती हो या कोई और, उसे मराठी आनी चाहिए। लेकिन किसी को मारने की जरूरत नहीं है। अगर कोई नाटक करता है, तो उसे कान के नीचे मारना चाहिए।” उन्होंने यह भी सलाह दी कि, “अगर आप किसी को मारते हैं, तो उसका वीडियो न बनाएँ।”
मराठी गौरव के लिए एकजुटता
यह रैली भाजपा नीत राज्य सरकार के स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने के फैसले के विरोध में आयोजित की गई थी। हालांकि, सरकार ने बाद में इस फैसले को वापस ले लिया, जिससे यह रैली उस फैसले की वापसी का उत्सव बन गई। उद्धव ने कहा, “हम एक साथ आए हैं और एक साथ रहेंगे।”
भाजपा पर हमला
भाजपा पर हमला और मराठी अस्मिता
राज ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को श्रेय देते हुए कहा, “उद्धव और मैं 20 साल बाद एक साथ आए हैं।” उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी ताकत विधानसभा में है, जबकि हमारी ताकत सड़कों पर है।
हिंदी और प्रवास पर सवाल
राज ने हिंदी भाषी राज्यों से होने वाले प्रवास पर सवाल उठाते हुए कहा, “हिंदी भाषी राज्य आर्थिक रूप से पिछड़े हैं।” दोनों नेताओं ने मराठी को सर्वोच्च सम्मान देने की बात की।
पुनर्मिलन की पृष्ठभूमि
पुनर्मिलन की पृष्ठभूमि
यह पुनर्मिलन अप्रैल में शुरू हुआ था, जब राज ने उद्धव के साथ एकजुट होने की बात कही थी। राज ने 2006 में शिवसेना छोड़कर मनसे बनाई थी।
2024: एक महत्वपूर्ण मोड़
2024: एक महत्वपूर्ण मोड़
2024 का विधानसभा चुनाव ठाकरे परिवार के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा। उद्धव की शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गठबंधन 2024 के लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन कर सकता है।
मराठी गौरव का भविष्य
मराठी गौरव का भविष्य
यह रैली उद्धव और राज ठाकरे के बीच सुलह का प्रतीक है और मराठी अस्मिता के लिए एक बड़े आंदोलन की शुरुआत भी है। दोनों नेताओं ने स्पष्ट किया कि उनकी लड़ाई किसी भाषा या समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि मराठी भाषा और संस्कृति को उचित सम्मान दिलाने के लिए है।