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उप राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की मजबूती और विपक्ष की दुविधा

उप राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन की स्थिति मजबूत होती जा रही है, जबकि विपक्ष की विभाजनकारी राजनीति नाकाम हो रही है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और अन्य दलों ने एनडीए का समर्थन किया है, जिससे विपक्ष की दुविधा बढ़ गई है। क्या विपक्ष के सांसद अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनेंगे? जानें इस महत्वपूर्ण चुनाव की पूरी कहानी।
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उप राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की मजबूती और विपक्ष की दुविधा

विपक्ष का विभाजनकारी प्रयास विफल

उप राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का राजनीतिक और क्षेत्रीय विभाजन का प्रयास असफल हो गया है। विपक्षी दलों ने एनडीए के सी.पी. राधाकृष्णन के मुकाबले जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया। कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को उम्मीद थी कि जस्टिस रेड्डी का जन्म अविभाजित आंध्र प्रदेश में हुआ है, जिससे उन्हें आंध्र प्रदेश और तेलंगाना का समर्थन मिलेगा।


सी.पी. राधाकृष्णन जैसे अनुभवी नेता के खिलाफ एक अराजनीतिक उम्मीदवार उतारने का उद्देश्य एनडीए के भीतर राजनीतिक और क्षेत्रीय विभाजन को बढ़ाना था। लेकिन एनडीए ने विपक्ष के इस प्रयास को नाकाम कर दिया।


आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने विपक्ष की रणनीति को तुरंत समझ लिया और घोषणा की कि उनकी पार्टी एनडीए के उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन का समर्थन करेगी। इसके अलावा, पवन कल्याण की जन सेना पार्टी भी उनका समर्थन कर रही है। यहां तक कि वाईएसआर कांग्रेस ने भी विपक्ष की विभाजनकारी राजनीति का साथ नहीं दिया।


तेलंगाना की मुख्य विपक्षी पार्टी भारत राष्ट्र समिति का समर्थन भी एनडीए के उम्मीदवार को मिल सकता है, क्योंकि स्थानीय राजनीतिक कारणों से बीआरएस के सांसद कांग्रेस के साथ जाने का जोखिम नहीं उठा सकते।


तमिलनाडु में दुविधा

इससे यह स्पष्ट होता है कि एनडीए के उम्मीदवार के मुकाबले कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की पार्टियों को दुविधा में डालने का प्रयास किया था, जो विफल हो गया है।


तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, और उप राष्ट्रपति चुनाव में जो पार्टियां सी.पी. राधाकृष्णन का समर्थन नहीं करेंगी, उनके लिए विधानसभा चुनाव में मुश्किलें बढ़ सकती हैं।


विपक्ष की चिंता

उप राष्ट्रपति चुनाव में पार्टियां व्हिप जारी नहीं कर सकती हैं, जिससे सांसद अपनी मर्जी से वोट दे सकते हैं। कांग्रेस और डीएमके नेताओं को चिंता है कि कहीं उनके सांसद अंतरात्मा की आवाज सुनकर एनडीए के उम्मीदवार को वोट न दें।


ऐसा पहले भी हो चुका है, जैसे 2022 के राष्ट्रपति चुनाव में झारखंड में कांग्रेस के विधायकों ने पार्टी के निर्देशों के बावजूद एनडीए की उम्मीदवार को वोट दिया था।


एनडीए की स्थिति

उप राष्ट्रपति चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज छोटा होता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य मतदान करते हैं। एनडीए के पास लगभग चार सौ सांसदों का समर्थन है, जिससे सी.पी. राधाकृष्णन की जीत सुनिश्चित है।


नौ सितंबर को होने वाले चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि एनडीए उम्मीदवार को कितने अतिरिक्त वोट मिलते हैं।


सी.पी. राधाकृष्णन का अनुभव

सी.पी. राधाकृष्णन दो बार सांसद रह चुके हैं और उन्हें संसदीय कार्यवाही और परंपराओं का अच्छा ज्ञान है। उनके मुकाबले विपक्ष के उम्मीदवार जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी का संसदीय अनुभव कम है।


राधाकृष्णन का राजनीतिक अनुभव और उनकी समझ उन्हें उप राष्ट्रपति के पद के लिए एक मजबूत उम्मीदवार बनाते हैं।


निष्कर्ष

विपक्ष के सांसदों के पास अब भी समय है कि वे अंतरात्मा की आवाज सुनें और अनुभवी राजनेता सी.पी. राधाकृष्णन के पक्ष में मतदान करें। अगर विपक्ष समर्थन नहीं करता है, तो उनके सांसदों को अपनी अंतरात्मा की आवाज पर वोट देना चाहिए।


नौ सितंबर को मतदान के दिन, देश नए उप राष्ट्रपति के रूप में सी.पी. राधाकृष्णन का स्वागत करने के लिए तैयार है।