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उपराष्ट्रपति चुनाव: एनडीए और विपक्ष के बीच की कड़ी टक्कर

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद उपराष्ट्रपति चुनाव में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। एनडीए और विपक्ष के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी, जिसमें 133 सांसदों की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है। जानें इस चुनाव की पूरी गणित और दोनों पक्षों की रणनीतियों के बारे में।
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उपराष्ट्रपति चुनाव: एनडीए और विपक्ष के बीच की कड़ी टक्कर

उपराष्ट्रपति पद का चुनाव: एक नई राजनीतिक हलचल

उपराष्ट्रपति चुनाव: जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है। हालांकि उपराष्ट्रपति का चुनाव सीधे जनता द्वारा नहीं होता, लेकिन धनखड़ के अचानक गायब होने से इस पद के प्रति लोगों की रुचि बढ़ गई है। अब सभी की नजरें नए उपराष्ट्रपति पर टिकी हुई हैं। उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया तेज हो गई है, जिसमें 9 सितंबर को मतदान होना है। एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है, जबकि इंडिया गठबंधन ने बी सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारा है। एनडीए की जीत लगभग तय मानी जा रही है, लेकिन महागठबंधन का आत्मविश्वास भी ऊंचाई पर है। 6 सितंबर को विपक्ष के उम्मीदवार रेड्डी ने एक कार्यक्रम में 100 प्रतिशत जीत का दावा किया है, जिसके पीछे 133 सांसदों का समर्थन माना जा रहा है।


133 सांसदों का महत्व

वर्तमान में लोकसभा में 542 और राज्यसभा में 240 सांसद हैं, जिससे कुल संसद सदस्यों की संख्या 782 है। उपराष्ट्रपति चुनाव में बहुमत के लिए 392 मतों की आवश्यकता होती है। एनडीए के पास 427 सदस्यों का समर्थन है, जिसमें लोकसभा के 293 और राज्यसभा के 134 सदस्य शामिल हैं। दूसरी ओर, विपक्ष के पास लोकसभा और राज्यसभा में मिलाकर 355 सांसद हैं। हालांकि, 133 सांसद ऐसे हैं, जिनका अभी तक किसी भी पक्ष में समर्थन नहीं है। यही सांसद विपक्ष के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इन्हीं की वजह से महागठबंधन के उम्मीदवार अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। विपक्ष को बहुमत प्राप्त करने के लिए केवल 37 सांसदों की आवश्यकता है, जबकि 133 सांसदों का समर्थन उन्हें मजबूती प्रदान कर सकता है।