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उपराष्ट्रपति चुनाव: मोदी सरकार का शक्ति परीक्षण और विपक्ष की रणनीति

उपराष्ट्रपति चुनाव 2023 मोदी सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण शक्ति परीक्षण है। एनडीए अपने उम्मीदवार को जीताने के लिए पूरी तैयारी कर रहा है, जबकि विपक्ष भी इस बार पूरी ताकत से मुकाबले में उतरने को तैयार है। जानें संभावित उम्मीदवारों के नाम और चुनावी रणनीतियों के बारे में।
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उपराष्ट्रपति चुनाव: मोदी सरकार का शक्ति परीक्षण और विपक्ष की रणनीति

उपराष्ट्रपति चुनाव का महत्व

उपराष्ट्रपति का चुनाव मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का एक महत्वपूर्ण शक्ति परीक्षण माना जा रहा है। बीजेपी और एनडीए अपने उम्मीदवार को भारी मतों से जीताने की कोशिश में जुटे हैं, जबकि विपक्ष ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस चुनाव में पीछे हटने का इरादा नहीं रखता।


एनडीए की तैयारी

एनडीए ने उपराष्ट्रपति चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा का विषय बना लिया है। पार्टी ने अपने सांसदों के लिए संसद भवन में तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया है, ताकि वोटिंग प्रक्रिया में कोई भ्रम न रहे और हर वोट सुनिश्चित हो सके। नामांकन के समय, एनडीए अपने सभी मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और सहयोगी दलों के प्रमुख नेताओं को एकत्रित कर शक्ति प्रदर्शन करेगा।


संभावित उम्मीदवारों की सूची

संभावित उम्मीदवार कौन हो सकते हैं?


बीजेपी का स्पष्ट संकेत है कि अगला उपराष्ट्रपति उसका ही होगा। पार्टी एक ऐसे चेहरे की तलाश में है जो संगठन से गहराई से जुड़ा हो और राज्यसभा के संचालन में अनुशासन बनाए रख सके। सत्ता के गलियारों में जिन नामों की चर्चा हो रही है, उनमें आचार्य देवव्रत, मनोज सिन्हा, थावरचंद गहलोत, ओम माथुर और आरिफ मोहम्मद खान शामिल हैं। इसके अलावा, आरएसएस के विचारक शेषाद्रिचारी और मौजूदा उपसभापति हरिवंश का नाम भी लिया जा रहा है। हालांकि, किसी अप्रत्याशित नाम की संभावना को नकारा नहीं किया जा सकता।


विपक्ष की रणनीति

विपक्ष की तैयारी


विपक्ष इस बार पूरी ताकत से चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार है। कांग्रेस, बीजेडी, आप और अन्य दल पहले ही वोटर लिस्ट के मुद्दे पर एकजुटता दिखा चुके हैं। बीजेडी, जिसने पहले कई मौकों पर एनडीए का समर्थन किया था, अब खुलकर समर्थन से पीछे हट चुकी है। विपक्ष का उद्देश्य है कि इस चुनाव को एनडीए के लिए आसान न बनने दिया जाए।


शक्ति संतुलन

शक्ति का संतुलन


एनडीए को इस बार अपने दम पर बहुमत नहीं मिला है और उसे टीडीपी व जेडीयू जैसे सहयोगियों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। वहीं, विपक्ष क्षेत्रीय दलों को एकजुट कर मुकाबला और कड़ा बनाने की कोशिश करेगा। पिछली बार जगदीप धनखड़ ने रिकॉर्ड मतों से उपराष्ट्रपति का पद हासिल किया था, लेकिन इस बार समीकरण पहले जैसे नहीं हैं। यही कारण है कि बीजेपी सावधानी से कदम उठा रही है और विपक्ष इसे अपनी ताकत दिखाने का अवसर मान रहा है।