उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का न्यायपालिका पर गंभीर बयान

उपराष्ट्रपति का चंडीगढ़ दौरा
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ 6 जून को चंडीगढ़ में थे, जहां उन्होंने बार एसोसिएशन के सदस्यों को राजभवन में आमंत्रित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सरकार बिना अनुमति के एफआईआर दर्ज नहीं कर सकती, जो कि एक पुराना आदेश है। यह व्यवस्था न्यायपालिका के उच्चतम स्तर पर अनुमति मिलने तक लागू रहती है। उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसी अनुमति क्यों नहीं दी गई, जबकि यह एक आवश्यक कदम था।
न्यायपालिका की स्थिति पर चिंता
धनखड़ ने कहा कि यदि किसी न्यायाधीश को हटाने का प्रस्ताव आता है, तो क्या यह उचित है? उन्होंने यह भी बताया कि यदि कोई ऐसा अपराध होता है जो लोकतंत्र को प्रभावित करता है, तो उसे दंड क्यों नहीं मिलता? उन्होंने तीन महीने से अधिक समय बर्बाद होने की बात की और कहा कि जांच की प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हुई है।
भ्रष्टाचार पर सवाल
उपराष्ट्रपति ने न्यायाधीशों की समिति की वैधता पर सवाल उठाया और कहा कि क्या इसकी रिपोर्ट से कोई ठोस कार्रवाई हो सकती है? उन्होंने यह भी कहा कि यदि संविधान में न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया निर्धारित है, तो यह समिति उस प्रक्रिया का विकल्प नहीं हो सकती।
बार एसोसिएशन की भूमिका
धनखड़ ने देशभर की बार एसोसिएशन के सदस्यों की सराहना की, जो इस मुद्दे को उठा रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि एफआईआर दर्ज की जाएगी और यह अनुमति पहले दिन दी जा सकती थी।
न्याय प्रणाली की गंभीरता
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारी न्याय प्रणाली एक गंभीर संकट का सामना कर रही है, जो मार्च में एक न्यायाधीश के निवास पर हुई घटना से स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि यह जानना आवश्यक है कि बरामद नकदी का स्रोत क्या था और क्या यह न्यायिक कार्य में प्रभाव डालता है।
जनता का विश्वास
धनखड़ ने कहा कि जनता का विश्वास सभी संस्थाओं में महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जो लोग इस अपराध के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए। केवल निष्पक्ष जांच ही जनता का विश्वास बहाल कर सकती है।
न्यायपालिका और लोकतंत्र की नींव
उन्होंने एक प्रसिद्ध मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि सच्चाई और अनुमानित सच्चाई के बीच का अंतर विश्वसनीय साक्ष्यों से तय होता है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि न्यायपालिका और लोकतंत्र की नींव को हिला देने वाले अपराधों का संज्ञान लिया जाए।