एनसीईआरटी के मॉड्यूल पर इतिहास कांग्रेस का विवादास्पद प्रस्ताव

एनसीईआरटी के मॉड्यूल की उपलब्धता
एनसीईआरटी के दोनों मॉड्यूल हिंदी और अंग्रेजी में उनकी वेबसाइट पर मुफ्त में उपलब्ध हैं। कोई भी व्यक्ति इन्हें पढ़कर यह देख सकता है कि इतिहास कांग्रेस ने झूठे आरोप लगाए हैं, और 'अंग्रेजों के वफादार (हिंदू) सांप्रदायिक' जैसे अपशब्दों का प्रयोग किया है। इसके अलावा, मुसलमानों के प्रति घृणा फैलाने का आरोप लगाकर उन्हें भड़काने का प्रयास किया गया है। इतिहास कांग्रेस का प्रस्ताव और एनसीईआरटी के मॉड्यूल को सामने रखकर कोई भी इसे स्वयं परख सकता है।
इतिहास कांग्रेस का प्रस्ताव
भारतीय इतिहास कांग्रेस (आई.एच.सी) ने 25 अगस्त को एनसीईआरटी द्वारा 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' पर प्रकाशित दो मॉड्यूलों की आलोचना की है। इस प्रस्ताव में डॉ. राम मनोहर लोहिया की बात याद आती है, जिसमें उन्होंने लिखा था कि वामपंथी इतिहासकार केवल मुस्लिम आक्रमणों का औचित्य बताने में लगे रहते हैं। यह बात आज भी सही साबित हो रही है।
विभाजन का दोष
इतिहास कांग्रेस को यह बात बुरी लगती है कि भारत के विभाजन का दोष 'राजनीतिक इस्लाम' को दिया गया। उनका मानना है कि यह दोष हिंदू नेता वी. डी. सावरकर और अंग्रेजों पर डालना चाहिए था। जबकि मुस्लिम लीग ने 1940 में विभाजन की मांग की थी।
प्रस्ताव में प्रमाणों की कमी
इतिहास कांग्रेस के प्रस्ताव में किसी भी प्रकार का प्रमाण, जैसे दस्तावेज या उद्धरण, नहीं दिया गया है। यह केवल सपाट घोषणाओं और जिद पर आधारित है। एक हालिया लेख के आधार पर यह दावा किया गया है कि भारत विभाजन की योजना पहले से ही अंग्रेजों की थी, लेकिन यह एनसीईआरटी के मॉड्यूल में लिखी गई बातों को असत्य नहीं साबित कर सका।
मॉड्यूल में विभाजन के पीड़ितों का उल्लेख
एनसीईआरटी के मॉड्यूल में विभाजन से प्रभावित लोगों का पूरा विवरण है, जिसमें कहा गया है कि '6 लाख लोग' मारे गए और 'डेढ़ करोड़ लोग बेघर हो गए'। इस विवरण में किसी विशेष समुदाय का उल्लेख नहीं किया गया है।
राजनीतिक उद्देश्य
इतिहास कांग्रेस का यह प्रस्ताव स्पष्ट रूप से राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित है। उनका मुख्य लक्ष्य किसी समुदाय या दल के खिलाफ प्रोपेगंडा करना है। यह स्थिति दर्शाती है कि वे न तो इतिहास से कुछ सीखते हैं और न ही दूसरों को जानने देना चाहते हैं।