एमडीयू में नया जैव विविधता पार्क: प्रवासी पक्षियों का आश्रय

एमडीयू में जैव विविधता पार्क की योजना
MDU Biodiversity Park, सिटी रिपोर्टर | रोहतक : महार्षि दयानंद यूनिवर्सिटी (एमडीयू) में एक नई और रोमांचक योजना की शुरुआत होने जा रही है। विश्वविद्यालय के पीछे स्थित 8 एकड़ में फैला पुराना तालाब अब एक जैव विविधता पार्क में परिवर्तित किया जाएगा। यह तालाब जैव विविधता को बढ़ावा देने के साथ-साथ एक वैटलैंड के रूप में भी विकसित होगा। हर साल सर्दियों में यहां प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है। इस परियोजना के लिए पौंड अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने एमडीयू से संपर्क किया है। पहले चरण में इस पर 35 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। वन्य जीवों का सर्वेक्षण पूरा होने के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा। आइए, इस विशेष परियोजना के बारे में विस्तार से जानते हैं।
जैव विविधता पार्क का उद्देश्य
एमडीयू के पीछे स्थित पुराना तालाब अब एक जैव विविधता पार्क के रूप में नया रूप लेगा। यह तालाब हर साल सर्दियों में प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करता है, लेकिन वर्तमान में इसकी पहुंच कठिन है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे वैटलैंड और जैव विविधता पार्क के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है। पौंड अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने भी इस परियोजना में रुचि दिखाई है। पहले दो चरणों का सर्वेक्षण पूरा हो चुका है, और तीसरे चरण के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा। पहले चरण में 35 लाख रुपये खर्च कर पार्क को तैयार किया जाएगा।
जैव विविधता पार्क की विशेषताएँ
जैव विविधता पार्क एक संरक्षित क्षेत्र होता है, जो पौधों, जानवरों और संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण पर केंद्रित होता है। यह पार्क प्राकृतिक विरासत को संरक्षित करने का कार्य करते हैं। एमडीयू का यह पार्क न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी होगा, बल्कि छात्रों को वन्य जीवों और प्रकृति का अध्ययन करने का अवसर भी प्रदान करेगा। विश्वविद्यालय के वीसी प्रो. राजबीर सिंह ने बताया कि इस परियोजना से छात्रों को शैक्षणिक लाभ होगा, और वे तालाब तक आसानी से पहुंचकर वन्य जीवों का अवलोकन कर सकेंगे।
पार्क की सुविधाएँ
पार्क तक पहुंच को सुगम बनाने के लिए एक किलोमीटर लंबा रास्ता तैयार किया जाएगा, जिसके दोनों ओर बाड़ लगाई जाएगी। तालाब के चारों ओर रिटेनिंग वॉल का निर्माण किया जाएगा ताकि गंदा पानी तालाब में न आए। इससे तालाब का पानी साफ रहेगा। यह पार्क न केवल छात्रों और विश्वविद्यालय के स्टाफ के लिए, बल्कि आम जनता के लिए भी खुला होगा। यह परियोजना पर्यावरण संरक्षण और शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।