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एयर इंडिया की फ्लाइट दुर्घटना: बीमा दावों का बड़ा मामला

12 जून 2025 को एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 की दुर्घटना ने भारतीय विमानन इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है। इस हादसे में 241 यात्रियों की जान चली गई, जबकि एक यात्री बच गया। यह घटना $120 मिलियन के बीमा दावे का कारण बन सकती है। जानें विमानन बीमा की प्रक्रिया और इसके कानूनी पहलुओं के बारे में, जो इस घटना के बाद सामने आए हैं।
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दुर्घटना का विवरण

12 जून 2025 को, एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171, जो अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भर रही थी, कुछ ही समय बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में विमान में सवार 242 यात्रियों में से 241 की जान चली गई, जबकि एक यात्री, विश्वास कुमार रमेश, सुरक्षित बच गए। यह घटना भारतीय विमानन के इतिहास में सबसे बड़े बीमा दावों में से एक बन सकती है, जिसमें कुल मिलाकर $120 मिलियन (लगभग ₹1,000 करोड़) का दावा किया जा सकता है।


विमानन बीमा की प्रक्रिया और नियम: भारत में विमानन बीमा मुख्यतः दो श्रेणियों में विभाजित है:


  1. हुल बीमा (Hull Insurance): यह विमान के क्षति या पूर्ण नष्ट होने पर होने वाले नुकसान को कवर करता है।
  2. लायबिलिटी बीमा (Liability Insurance): इसमें यात्रियों की मृत्यु, चोट, या अन्य हानि के लिए एयरलाइन की जिम्मेदारी शामिल होती है।


अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के अनुसार, एयरलाइन को प्रत्येक मृत यात्री के लिए लगभग $1,74,000 (लगभग ₹1.04 करोड़) तक की क्षतिपूर्ति करनी होती है। यदि यह राशि अधिक होती है, तो एयरलाइन अपनी लापरवाही साबित करके अतिरिक्त भुगतान से बच सकती है।


इस घटना के बाद, बीमा कंपनियों को विस्तृत जांच और मूल्यांकन के बाद ही भुगतान करना होगा। यह प्रक्रिया समयसाध्य हो सकती है और इसमें कानूनी पहलुओं का भी ध्यान रखा जाएगा। यह घटना यह दर्शाती है कि विमानन बीमा न केवल एयरलाइन के लिए, बल्कि यात्रियों और उनके परिवारों के लिए भी महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच प्रदान करता है।