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एयर इंडिया विमान दुर्घटना: एकमात्र जीवित बचे यात्री का संघर्ष

एयर इंडिया के विमान हादसे में एकमात्र जीवित बचे यात्री विश्वास कुमार रमेश इस समय मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं। 12 जून को हुए इस भयानक हादसे में 260 लोगों की जान गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, रमेश अब दीव में मनोचिकित्सक की मदद ले रहे हैं। उनके भाई ने बताया कि वह रात में अचानक जाग जाते हैं और अपने भाई की मृत्यु के सदमे से उबरने की कोशिश कर रहे हैं। जानें इस दर्दनाक अनुभव के बारे में और कैसे वह अपने जीवन को फिर से पटरी पर लाने का प्रयास कर रहे हैं।
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एयर इंडिया विमान दुर्घटना: एकमात्र जीवित बचे यात्री का संघर्ष

एयर इंडिया विमान हादसे की एक महीने की रिपोर्ट

एयर इंडिया के विमान दुर्घटना को एक महीना हो चुका है। 12 जून को अहमदाबाद से लंदन के गैटविक के लिए उड़ान भरने वाले बोइंग 787-8 (फ्लाइट AI 171) ने टेकऑफ के तुरंत बाद एक मेडिकल हॉस्टल से टकरा गया। इस भयानक हादसे में 260 लोगों की जान गई, जिनमें 241 यात्री और क्रू मेंबर्स शामिल थे। केवल एक यात्री, विश्वास कुमार रमेश, इस दुर्घटना में जीवित बचे। AAIB द्वारा जारी 15 पन्नों की रिपोर्ट में बताया गया है कि विमान ने सुबह लगभग 08:08 बजे 180 नॉट्स की अधिकतम एयरस्पीड प्राप्त की। इसके बाद, इंजन-1 और इंजन-2 के फ्यूल कट-ऑफ स्विच 'RUN' से 'CUTOFF' स्थिति में चले गए, जिससे दोनों इंजनों में ईंधन की आपूर्ति बंद हो गई और विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया।


भयावह सदमे से उबरने का प्रयास

इस हादसे में एकमात्र जीवित बचे यात्री विश्वास कुमार रमेश इस समय भयावह सदमे से उबरने की कोशिश कर रहे हैं। कई लोग मानते हैं कि वह बेहद भाग्यशाली हैं, लेकिन वह मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं।


मनोचिकित्सक की सहायता

रमेश के भाई ने बताया कि वह इस दर्दनाक अनुभव से उबरने के लिए दीव में मनोचिकित्सक की मदद ले रहे हैं। यह बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान अहमदाबाद हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही क्षण बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया। 40 वर्षीय विश्वास, जो भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक हैं, इस हादसे में जीवित बचे। उनके भाई सनी ने कहा कि दुर्घटना का दृश्य और अपने भाई की मृत्यु की भयावहता अब भी उन्हें परेशान कर रही है।


रात में अचानक जागने की समस्या

सनी ने बताया कि विश्वास अब भी रात में अचानक जाग जाते हैं और फिर से सोने में कठिनाई महसूस करते हैं। उन्हें मनोचिकित्सक के पास ले जाया गया है। उन्होंने अभी तक लंदन लौटने की कोई योजना नहीं बनाई है क्योंकि उनका इलाज अभी शुरू हुआ है। रमेश को 17 जून को अहमदाबाद सिविल अस्पताल से छुट्टी दी गई थी। उसी दिन, उनके भाई अजय का पार्थिव शरीर परिवार को सौंपा गया था।