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एस जयशंकर ने रूस में अमेरिका की ऊर्जा नीति पर उठाए सवाल

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस में एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान अमेरिका की ऊर्जा नीति पर सवाल उठाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार नहीं है, बल्कि यह चीन है। इसके अलावा, उन्होंने अमेरिका से तेल खरीदने की बढ़ती मात्रा और अमेरिका की बदलती नीतियों पर भी चर्चा की। जयशंकर ने रूस में उच्च स्तरीय बैठकों में व्यापार बढ़ाने के मुद्दों पर भी बात की। इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नई बहस को जन्म दिया है।
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एस जयशंकर ने रूस में अमेरिका की ऊर्जा नीति पर उठाए सवाल

भारत के विदेश मंत्री का बयान

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जो निश्चित रूप से डोनाल्ड ट्रंप को असहज कर सकता है। उन्होंने एक ऐसा सच उजागर किया है, जिसे ट्रंप भले ही जानते हों, लेकिन अपने स्वार्थ और अहंकार के कारण इसे स्वीकार नहीं करते। एस जयशंकर ने मुस्कुराते हुए अमेरिका और ट्रंप का असली चेहरा दुनिया के सामने लाया। वर्तमान में, एस जयशंकर रूस में हैं, जहां उन्होंने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की और पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया।


अमेरिका की ऊर्जा नीति पर सवाल

एक पत्रकार ने एस जयशंकर से रूसी भाषा में अमेरिका की धमकियों और तेल के मुद्दे पर सवाल पूछा। उन्होंने पहले सवाल को ध्यान से सुना और फिर अपने कानों से ईयरफोन निकालकर जवाब दिया। एस जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार नहीं है, बल्कि यह चीन है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत रूसी एलएनजी का सबसे बड़ा खरीदार नहीं है, यह यूरोपीय संघ है।


भारत और अमेरिका के बीच ऊर्जा व्यापार

जयशंकर ने कहा कि भारत अमेरिका से भी तेल खरीद रहा है और इसकी मात्रा बढ़ाई जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका ने भारत को वैश्विक ऊर्जा बाजार को स्थिर रखने के लिए रूसी तेल खरीदने की अनुमति दी थी। लेकिन अब अमेरिका की नीति में बदलाव आ गया है।


रूस में उच्च स्तरीय बैठकें

एस जयशंकर ने रूस में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, उप प्रधानमंत्री डेनिस मांटुरोव और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की। इस दौरान व्यापार बढ़ाने के मुद्दे पर चर्चा हुई, जिसमें नॉन-टैरिफ बैरियर्स और रेगुलेटरी बाधाओं को दूर करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। फार्मास्युटिकल, कृषि और वस्त्र उद्योग में भारत के निर्यात को बढ़ाने के लिए उपायों पर भी बात हुई।


सकारात्मक बातचीत का परिणाम

जयशंकर ने कहा कि लावरोव और मांटुरोव के साथ उनकी बैठकें सकारात्मक रहीं। दोनों पक्षों ने इंडिया-यूरेशियन आर्थिक FTA के लिए टर्म्स ऑफ रेफरेंस पर सहमति जताई। परमाणु ऊर्जा सहयोग, उर्वरक, बुनियादी ढांचे, मोबिलिटी और कौशल श्रमिक पर भी चर्चा की गई।


प्रेस ब्रीफिंग में एस जयशंकर का बयान