ऑनलाइन गेमिंग बिल: गेमिंग की दुनिया में बड़ा बदलाव

ऑनलाइन गेमिंग बिल: गेमिंग पर बड़ा अंकुश
नई दिल्ली | ऑनलाइन गेमिंग प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण सूचना! ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 को लोकसभा के बाद अब राज्यसभा ने भी स्वीकृति दे दी है।
यह विधेयक भारत की 3.8 अरब डॉलर की गेमिंग इंडस्ट्री पर सीधा प्रभाव डालेगा। ड्रीम11, गेम्स24X7 और मोबाइल प्रीमियर लीग जैसे फैंटेसी स्पोर्ट्स ऐप्स ने ऑनलाइन गेमिंग को लोकप्रिय बनाया है, लेकिन इसके साथ ही युवाओं में इसकी लत, वित्तीय नुकसान और आत्महत्या जैसी समस्याएं भी उभरी हैं। सरकार का मानना है कि यह विधेयक इन मुद्दों पर नियंत्रण स्थापित करेगा। आइए जानते हैं कि यह विधेयक आपके गेमिंग व्यवहार को कैसे प्रभावित करेगा।
ईस्पोर्ट्स को मिलेगा आधिकारिक दर्जा
इस विधेयक के अंतर्गत ईस्पोर्ट्स को भारत में आधिकारिक प्रतिस्पर्धात्मक खेल का दर्जा दिया जाएगा। खेल मंत्रालय इसके लिए विशेष दिशा-निर्देश और मानक तैयार करेगा।
इसके साथ ही प्रशिक्षण अकादमियों, अनुसंधान केंद्रों और तकनीकी प्लेटफार्मों की स्थापना की जाएगी। ईस्पोर्ट्स को राष्ट्रीय खेल नीति में शामिल किया जाएगा और इसके लिए प्रोत्साहन योजनाएं और जागरूकता कार्यक्रम भी आरंभ किए जाएंगे। यह ईस्पोर्ट्स खिलाड़ियों के लिए एक सकारात्मक कदम है।
सामाजिक और शैक्षिक गेम्स को प्राथमिकता
नए विधेयक के तहत सरकार को ऑनलाइन गेम्स को पहचानने, वर्गीकृत करने और पंजीकृत करने का अधिकार प्राप्त होगा। भारतीय संस्कृति के अनुरूप गेम्स को बढ़ावा दिया जाएगा। बच्चों के लिए सुरक्षित और उनकी उम्र के अनुसार उपयुक्त गेम्स को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसका अर्थ है कि गेमिंग का माहौल अब अधिक सुरक्षित और शिक्षाप्रद होगा।
मनी गेम्स पर पूर्ण प्रतिबंध
चाहे वे कौशल आधारित हों या भाग्य आधारित, सभी प्रकार के मनी गेम्स पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाएगा। इनके विज्ञापनों पर कड़ी रोक होगी और इन्हें किसी भी मीडिया में प्रचारित नहीं किया जा सकेगा। बैंक और भुगतान गेटवे ऐसे लेनदेन को प्रोसेस नहीं करेंगे।
मनी गेम्स की निगरानी के लिए एक राष्ट्रीय प्राधिकरण स्थापित किया जाएगा, जो यह निर्धारित करेगा कि कोई गेम मनी गेम है या नहीं और शिकायतों का समाधान करेगा।
कड़ी सजा और जुर्माने का प्रावधान
इस विधेयक में मनी गेम्स की पेशकश करने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। इसमें अधिकतम 3 साल की जेल, 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
भ्रामक विज्ञापन देने वालों को 2 साल की जेल, 50 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ सकता है। अनधिकृत लेनदेन (धारा 7) के लिए भी 3 साल की जेल या 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना निर्धारित किया गया है।
कंपनियों और निदेशकों की जिम्मेदारी
यदि कोई कंपनी इस विधेयक का उल्लंघन करती है, तो कंपनी और उसके संचालन के लिए जिम्मेदार व्यक्ति दोनों को सजा मिलेगी। हालांकि, स्वतंत्र या गैर-कार्यकारी निदेशकों को छूट दी जाएगी, जो निर्णयों में शामिल नहीं हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह विधेयक ऑनलाइन गेमिंग पर नियंत्रण स्थापित करेगा और युवाओं को इसकी लत से बचाने में मदद करेगा।