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ऑपरेशन सिंदूर: भारत की वायु शक्ति पर चीन का गलत सूचना अभियान

ऑपरेशन सिंदूर की सैन्य सफलता ने भारत को गर्वित किया, लेकिन इसके तुरंत बाद चीन ने राफेल विमानों पर गलत सूचना फैलाना शुरू किया। इस लेख में जानें कि कैसे चीन ने इस अभियान के जरिए भारत की सैन्य छवि को कमजोर करने की कोशिश की और फ्रांस की प्रतिक्रिया क्या रही। यह घटनाक्रम भारत के लिए एक चेतावनी है कि उसे वैश्विक कूटनीतिक मंचों पर सजग रहना होगा।
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ऑपरेशन सिंदूर: भारत की वायु शक्ति पर चीन का गलत सूचना अभियान

ऑपरेशन सिंदूर की सैन्य सफलता

"ऑपरेशन सिंदूर" की सैन्य उपलब्धियों ने न केवल भारतीय नागरिकों को गर्वित किया, बल्कि वैश्विक रणनीतिक समुदाय में भारत की सैन्य क्षमताओं को भी मान्यता दी। इस अभियान में राफेल लड़ाकू विमानों की महत्वपूर्ण भूमिका ने भारत की वायु शक्ति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया। हालांकि, इस सफलता के तुरंत बाद, चीन ने एक संगठित "गलत सूचना अभियान" शुरू किया, जिसका उद्देश्य राफेल विमानों की छवि को धूमिल करना था।


चीन का गलत सूचना अभियान

"ऑपरेशन सिंदूर" एक रणनीतिक सैन्य मिशन था, जिसमें वायुसेना की सटीकता और त्वरित कार्रवाई का प्रदर्शन किया गया। इस ऑपरेशन में राफेल विमानों का उपयोग किया गया, जिसने तेज और लक्षित हमले किए। लेकिन ऑपरेशन की सफलता के बाद, चीन ने कई माध्यमों से यह दावा फैलाना शुरू किया कि:


- राफेल विमानों की तकनीकी क्षमताएं उतनी प्रभावशाली नहीं हैं जितना बताया गया।


- भारत ने ऑपरेशन की सफलता को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया।


- राफेल की मारक क्षमता "चीनी J-20" के मुकाबले कमजोर है।


- यह ऑपरेशन केवल फ्रांस के समर्थन से किया गया "प्रोपेगैंडा" है।


इन सभी दावों को चीनी सोशल मीडिया, सरकारी प्रचार तंत्र और कुछ छद्म स्वतंत्र विश्लेषकों के माध्यम से फैलाया गया।


चीन की हाइब्रिड युद्ध रणनीति

चीन ने पिछले कुछ वर्षों में "हाइब्रिड वॉरफेयर" में महारत हासिल कर ली है। वह केवल सैन्य शक्ति से नहीं, बल्कि सूचना, कूटनीति, आर्थिक दबाव और साइबर हमलों के माध्यम से अपने प्रतिद्वंद्वियों को कमजोर करने का प्रयास करता है। राफेल के खिलाफ यह गलत सूचना अभियान भारत की सैन्य छवि को कमजोर करने, फ्रांस के साथ रक्षा सहयोग को प्रभावित करने और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की विश्वसनीयता को चुनौती देने के लिए चलाया गया।


फ्रांस की प्रतिक्रिया

फ्रांस की सरकार और उसकी खुफिया एजेंसियों ने भी चीन की इस साजिश को पहचान लिया है और इसके खिलाफ कार्रवाई के संकेत दिए हैं। एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चीनी दूतावासों ने 'राफेल' विमानों की वैश्विक छवि को नुकसान पहुँचाने की संगठित साजिश की थी। यह खुलासा भारत-फ्रांस रक्षा सहयोग के खिलाफ एक सुनियोजित चीनी कूटनीतिक हमले के रूप में देखा जा रहा है।


चीनी दूतावासों की रणनीति

फ्रांसीसी इंटेलिजेंस के अनुसार, चीनी दूतावासों ने विदेशी थिंक टैंकों, रक्षा विश्लेषकों और मीडिया संगठनों के माध्यम से राफेल सौदे को विवादास्पद साबित करने का प्रयास किया। इसके लिए सोशल मीडिया अभियानों, लीक रिपोर्टों और फेक न्यूज पोर्टलों का सहारा लिया गया, जो अक्सर भारत में विपक्षी हलकों और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में 'राफेल घोटाले' के नाम से प्रचारित होते रहे।


भारत की सैन्य शक्ति

चीन को यह भलीभांति पता है कि भारत उसका सबसे बड़ा सामरिक प्रतिद्वंद्वी है, विशेषकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में। भारत की वायु शक्ति में राफेल विमानों का जुड़ना चीन के लिए एक सीधी चुनौती है। 2016 में भारत और फ्रांस के बीच हुए 36 राफेल विमानों के सौदे को चीन ने हमेशा संदेह की दृष्टि से देखा है।


यह घटनाक्रम एक बार फिर साबित करता है कि चीन केवल सैन्य या आर्थिक मोर्चे पर ही नहीं, बल्कि "सूचना युद्ध" और "कूटनीतिक साजिशों" के माध्यम से भी अपने विरोधियों को कमजोर करने की कोशिश करता है। भारत के लिए यह चेतावनी है कि वह न केवल सीमा पर, बल्कि वैश्विक कूटनीतिक मंचों पर भी सजग और सक्रिय रहे।


हालांकि, भारत की तरफ से भी सैन्य प्रवक्ताओं और रक्षा मंत्रालय ने राफेल की वास्तविक क्षमता और ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को सामने लाकर इन दुष्प्रचारों का जवाब दिया है।


ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की वायु शक्ति और निर्णायक क्षमता को सिद्ध किया है। चीन द्वारा फैलाया गया दुष्प्रचार इस बात का प्रमाण है कि वह भारत की सैन्य सफलता से चिंतित है।