ऑपरेशन सिंदूर: भारतीय सेना की रणनीति और पाकिस्तान के खिलाफ तैयारियाँ

भारतीय सशस्त्र बलों का ऑपरेशन सिंदूर
ऑपरेशन सिंदूर का परिचय: पहलागाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारतीय सशस्त्र बलों ने ऑपरेशन सिंदूर का संचालन किया, जिसमें मई के दौरान कई तनावपूर्ण सैन्य झड़पें हुईं। इस अभियान का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने किया, जिन्होंने बताया कि इन घटनाओं के जवाब में सेना ने सीमाओं पर सक्रियता दिखाई और भारतीय नौसेना को अरब सागर में तैनात किया गया। उन्होंने कहा कि नौसेना पूरी तरह से तैयार थी और यदि विरोधी ने नरमी नहीं दिखाई होती, तो समुद्री और अन्य मोर्चों से कड़े हमले किए जा सकते थे।
नौसेना की तैयारियाँ और प्रभाव
नौसेना की तत्परता:
लेफ्टिनेंट जनरल घई ने संयुक्त राष्ट्र के एक सैन्य सम्मेलन में बताया कि अरब सागर में नौसेना की तैनाती का उद्देश्य विरोधी को गंभीर नुकसान पहुँचाना था। उन्होंने यह भी कहा कि अभियान के दौरान पाकिस्तानी सुरक्षाबलों को भारी क्षति हुई, जिसमें सैकड़ों जवानों के मारे जाने की सूचना है। घई ने कहा कि डीजीएमओ स्तर पर बातचीत के बाद संघर्षविराम पर सहमति बनी, अन्यथा परिणाम और भी विनाशकारी हो सकते थे।
लक्ष्यों का चयन और समन्वय
लक्ष्यों का चयन:
घई ने बताया कि अप्रैल के अंत से मई की शुरुआत तक कई लक्ष्यों पर अभियान चलाए गए। लक्ष्यों के चयन के समय सेना ने विभिन्न विकल्पों में से प्राथमिकता के आधार पर निशाने चुने। इस दौरान कई सरकारी विभाग और सुरक्षा एजेंसियाँ समन्वय में थीं, जिससे विरोधी के संचालन को बाधित किया जा सके।
आतंकवाद के खिलाफ नई रणनीति
नीतिगत बदलाव:
घई ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ नीतियों में बदलाव आया है। प्रधानमंत्री के तीन बिंदुओं में आतंकवादी हमलों का निर्णायक जवाब, परमाणु ब्लैकमेल के आगे न झुकना, और आतंकवादियों तथा उनके प्रायोजकों को समान रूप से जिम्मेदार ठहराना शामिल है। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने कहा कि पाकिस्तान की पारंपरिक युद्ध क्षमता सीमित है, लेकिन वह असमान तरीके से चोट पहुँचाने की नीति जारी रख सकता है।
भविष्य की चुनौतियाँ और प्रतिकार
संभावित प्रतिकार:
लेफ्टिनेंट जनरल कटियार ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान ऐसे हमलों से नहीं बचेगा जब तक उसकी सोच में बदलाव नहीं आता। यदि भविष्य में पहलगाम जैसे हमले होते हैं, तो सीमाओं के अलावा समुद्र और अन्य मोर्चों से भी सख्त जवाब दिया जाएगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि भारतीय सेनाएँ पूरी तरह तैयार हैं और अगला चरण पहले से भी अधिक प्रभावी हो सकता है।
कूटनीति और सैन्य समन्वय
सुरक्षा बलों की रणनीति:
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान की गई कार्रवाइयाँ सुरक्षा बलों की निर्णायकता और तत्परता को दर्शाती हैं। डीजीएमओ स्तर की बातचीत ने संघर्षविराम की राह खोली। सैन्य नेतृत्व का संदेश स्पष्ट है: यदि प्रतिदेश आक्रामकता जारी रखेगा, तो उसे तीव्र और व्यापक जवाब का सामना करना होगा। भविष्य में किसी भी अप्रत्याशित घटनाक्रम से निपटने के लिए सेना, नौसेना और अन्य एजेंसियों के बीच समन्वय को और मजबूत करना आवश्यक है।