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ऑस्ट्रेलिया ने फिलिस्तीन को मान्यता देने की घोषणा की, इज़राइल के लिए नई चुनौतियाँ

ऑस्ट्रेलिया ने अगले महीने की संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन को मान्यता देने की घोषणा की है, जिससे इज़राइल के लिए नई चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ का मानना है कि गाज़ा में हिंसा को समाप्त करने के लिए यह कदम आवश्यक है। न्यूजीलैंड भी इसी दिशा में कदम बढ़ाने पर विचार कर रहा है। जानें इस निर्णय के पीछे की शर्तें और इसके संभावित प्रभाव।
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ऑस्ट्रेलिया का महत्वपूर्ण निर्णय

ऑस्ट्रेलिया, जो पहले से ही फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों के दबाव में है, ने हाल ही में घोषणा की है कि वह अगले महीने होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन को मान्यता देगा। प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ ने बताया कि गाज़ा में चल रही हिंसा को समाप्त करने के लिए यह कदम उठाना आवश्यक है। उनका मानना है कि केवल दो-राज्य समाधान ही इस मुद्दे का स्थायी हल प्रदान कर सकता है, जो मानवता के लिए फायदेमंद होगा।


ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का यह निर्णय इज़राइल के लिए एक नई चिंता का विषय बन गया है। न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री विंस्टन पीटर्स ने भी संकेत दिया है कि उनका देश फिलिस्तीन को मान्यता देने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। इस प्रकार, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे उन देशों की सूची में शामिल होना चाहते हैं जिन्होंने पहले ही फिलिस्तीन को मान्यता देने का निर्णय लिया है, जैसे कि ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा।


प्रधानमंत्री अल्बानीज़ ने यह भी स्पष्ट किया कि फिलिस्तीन को मान्यता देने के लिए कुछ शर्तें होंगी। उनके अनुसार, फिलिस्तीन प्राधिकरण को शासन की जिम्मेदारी लेनी होगी और गाज़ा में हमास का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। इसके अलावा, गाज़ा में चुनाव कराए जाएंगे और नए नेतृत्व का चयन किया जाएगा। अल्बानीज़ ने कहा कि उनकी सरकार फिलिस्तीन को मान्यता देने के लिए एकमत है और यह मानते हैं कि एक दो-राज्य समाधान ही शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।