ओडिशा में दंपति पर नवजात बेटी को बेचने का आरोप, पुलिस ने बचाई जान

बोलनगीर में मानवता को झकझोरने वाली घटना
बोलनगीर: ओडिशा के बोलनगीर जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक दंपति पर अपनी 28 दिन की बेटी को 20,000 रुपये में बेचने का गंभीर आरोप लगा है। इस मामले की जानकारी मिलते ही पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और बच्ची को सुरक्षित बरामद कर लिया। हालांकि, माता-पिता और बच्ची को लेने वाले दंपति ने पैसे के लेन-देन से इनकार किया है, और इसे बेहतर परवरिश के लिए उठाया गया कदम बताया है।
यह घटना बोलनगीर जिले के टिटलागढ़ उप-मंडल के बागडेरा गांव की है। नीला और कनक राणा नामक दंपति ने अपनी नवजात बेटी को पड़ोसी बरगढ़ जिले के पाइकमल क्षेत्र में रहने वाले एक दंपति को सौंप दिया। सूत्रों के अनुसार, यह सौदा 20,000 रुपये में तय हुआ था। जैसे ही इस बात की जानकारी मिली, पुलिस और बाल कल्याण समिति (CWC) की टीमें सक्रिय हो गईं।
टिटलागढ़ के एसडीपीओ कल्याण बेहरा ने बताया कि सूचना मिलने पर कार्रवाई करते हुए बच्ची को पाइकमल में एक दंपति के घर से सुरक्षित बरामद किया गया है और उसे बाल कल्याण समिति को सौंप दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है, क्योंकि कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की गई है।
बोलनगीर जिले की बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष लीना बाबू ने पुष्टि की कि बच्ची को सुरक्षित निकाला गया है। उन्होंने कहा, “हमारी प्राथमिकता शिशु को सुरक्षित निकालना थी। अब हम मामले की जांच शुरू करेंगे और संबंधित थाने में शिकायत दर्ज कराएंगे।”
आरोपों के घेरे में आए बच्ची के जैविक माता-पिता, नीला और कनक राणा, बेहद गरीब हैं। यह दोनों की दूसरी शादी है और उनकी पहले से भी बेटियां हैं। नीला राणा ने बाल कल्याण समिति के सामने कहा, “हमने उसे बेचा नहीं है। हमने बच्ची को उसकी बेहतर परवरिश के लिए दिया है, पैसों के लिए नहीं।” वहीं, बच्ची को लेने वाले पाइकमल के दंपति ने भी खरीदने के आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने बच्ची को केवल दया और मानवता के आधार पर अपने पास रखा, क्योंकि उसके जैविक माता-पिता उसकी देखभाल करने में असमर्थ थे।
यह पहली बार नहीं है जब बोलनगीर जिले से ऐसी घटना सामने आई है। नवंबर 2024 में भी एक महिला ने अपनी नवजात बच्ची को बेच दिया था, जिसे बाद में छुड़ाया गया था। फिलहाल, पुलिस और सीडब्ल्यूसी इस मामले की गहन जांच कर रहे हैं कि यह केवल आर्थिक मजबूरी का मामला है या इसके पीछे कोई संगठित गिरोह काम कर रहा है।