Newzfatafatlogo

ओडिशा में नक्सलियों का सामूहिक आत्मसमर्पण: 22 माओवादी ने किए हथियार डालने

ओडिशा में मलकानगिरी पुलिस ने एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है, जहां 22 माओवादी सामूहिक रूप से आत्मसमर्पण कर चुके हैं। यह घटना नक्सल विरोधी अभियान में एक बड़ी जीत मानी जा रही है। आत्मसमर्पण करने वालों में संगठन के कई प्रमुख सदस्य शामिल हैं, जिन पर सरकार ने करोड़ों रुपये का इनाम रखा था। पुलिस का मानना है कि यह सफलता सुरक्षाबलों के बढ़ते दबाव और रणनीतिक मनोवैज्ञानिक युद्ध का परिणाम है। जानें इस घटनाक्रम के पीछे की कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
 | 
ओडिशा में नक्सलियों का सामूहिक आत्मसमर्पण: 22 माओवादी ने किए हथियार डालने

ओडिशा में नक्सल विरोधी अभियान की सफलता

अनुगुल: ओडिशा में नक्सल विरोधी अभियान को एक महत्वपूर्ण सफलता मिली है। मलकानगिरी पुलिस के समक्ष 22 माओवादी एक साथ आत्मसमर्पण कर चुके हैं। इसे इस वर्ष राज्य में माओवादी गतिविधियों का सबसे बड़ा सरेंडर माना जा रहा है, जिसने लाल गलियारे में हलचल पैदा कर दी है। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि यह सफलता सुरक्षाबलों के बढ़ते दबाव और रणनीतिक मनोवैज्ञानिक युद्ध का परिणाम है।


पुलिस के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वालों में संगठन के कई प्रमुख सदस्य शामिल हैं। इनमें एक संभागीय समिति सदस्य, छह सहायक समिति और उपसमिति सदस्य तथा 15 पार्टी सदस्य शामिल हैं। इन नक्सलियों पर सरकार ने 5.5 लाख रुपये से लेकर 27.5 लाख रुपये तक का इनाम रखा था। पिछले सप्ताह, जिले भर में और सार्वजनिक स्थलों पर 8 करोड़ रुपये से अधिक के इनामी माओवादियों के पोस्टर लगाए गए थे। इन पोस्टरों के माध्यम से न केवल इनाम की जानकारी दी गई, बल्कि आत्मसमर्पण नीति और सुरक्षित जीवन की अपील भी की गई थी। इस कदम ने माओवादी कैडर में भय और असमंजस की स्थिति उत्पन्न कर दी, जिसका परिणाम इस सामूहिक आत्मसमर्पण के रूप में सामने आया है।


यह ध्यान देने योग्य है कि ओडिशा के कालाहांडी, कंधमाल, बलांगीर, कोरापुट, नबरंगपुर, नुआपाड़ा और रायगढ़ा जैसे जिलों में अभी भी माओवादियों का प्रभाव बना हुआ है। विशेष रूप से छत्तीसगढ़ सीमा से सटे जिले माओवादियों का गढ़ माने जाते हैं। हालांकि, सुरक्षा एजेंसियों की निरंतर कार्रवाई ने उनकी गतिविधियों को काफी हद तक कमजोर कर दिया है। जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि मुख्यधारा में लौटने वाले सभी माओवादियों को राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत वित्तीय सहायता, कौशल प्रशिक्षण और अन्य आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। जल्द ही पुलिस महानिदेशक (DGP) योगेश बहादुर खुराना इस संबंध में विस्तृत जानकारी साझा कर सकते हैं।